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वाराणसी

एआई केवल आंकड़ों पर निर्भर जबकि मनुष्य संवेदनशील – प्रो. राखी गर्ग

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एआई पर खुली परिचर्चा में रखें विचार

वाराणसी। एआई का मानव जीवन पर प्रभाव विषय पर शनिवार को डीएवी पीजी कॉलेज में व्यापक परिचर्चा का आयोजन हुआ। अंग्रेजी विभाग के तत्वावधान में आयोजित परिचर्चा में महिला महाविद्यालय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग की प्रमुख प्रो. राखी गर्ग ने कहा कि एआई कितना भी उन्नत क्यों न हो जाए, वह मनुष्य की संवेदनशीलता, रचनात्मकता और भावनात्मकता की बराबरी नहीं कर सकता। इंसान अपने अनुभव और नैतिक मूल्यों के आधार पर निर्णय लेता है, जबकि एआई केवल आंकड़ों पर निर्भर रहती है।

उन्होंने कहा कि जहाँ गणना, तर्क और गति की आवश्यकता होती है, वहाँ एआई मानव से आगे निकल सकती है। लेकिन जहाँ नैतिकता, सहानुभूति, कल्पना और मानवीय मूल्यों की जरूरत होती है, वहाँ एआई मनुष्य का स्थान नहीं ले सकती। उन्होंने यह भी कहा कि एआई जीवन को सुविधाजनक और आसान बनाने का साधन है, लेकिन वह मानव जीवन का विकल्प कभी नहीं बन सकती। भविष्य का सही मार्ग इंसान और एआई के बीच सहयोग ही है।

कार्यक्रम संयोजक एवं उपाचार्य प्रो. संगीता जैन ने कहा कि एआई कभी भी मानव ज्ञान की जगह नहीं ले सकता है, क्योंकि एआई को हमने बनाया है और मानव को ईश्वर ने बनाया है। उन्होंने डिजिटल डिमेंशिया की बात भी कही और बताया कि एआई का ज्यादा प्रयोग हमें डिजिटली डिमेंशिया का शिकार भी बना सकता है। परिचर्चा में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने भी विचार रखे।

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अतिथियों का स्वागत प्रबंधक अजीत कुमार सिंह यादव ने स्मृति चिन्ह एवं बुके प्रदान कर किया। अध्यक्षता कार्यवाहक प्राचार्य प्रो. मिश्रीलाल ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. बन्दना बालचंदनानी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पारुल जैन ने दिया। इस मौके पर मुख्य रूप से डॉ. इंद्रजीत मिश्रा, डॉ. नजमुल हसन, डॉ. महिमा सिंह, खितेश विराट शर्मा, प्रज्ञा अग्रवाल आदि उपस्थित रहें। परिचर्चा में स्वर्णिल भट्टाचार्य, अखंड, ऐश्वर्य रंजन, सोनू, राजश्री बोस, अंकुर, तनिष्क आदि विद्यार्थियों ने विचार रखें।

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