Connect with us

मिर्ज़ापुर

उचित मूल्य न मिलने से खेतों में सड़ रहा टमाटर

Published

on

मड़िहान (मिर्जापुर)। मड़िहान राजगढ़ क्षेत्र के किसानों ने अपनी आय बढ़ाने के लिए परंपरागत खेती छोड़कर 1500 एकड़ भूमि पर टमाटर और मिर्च की खेती की, लेकिन बाजार में उचित मूल्य न मिलने के कारण उनकी फसल खेतों में ही सड़ रही है। किसान सरकार की नीतियों और जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

उनका कहना है कि अगर क्षेत्र में टमाटर-मिर्च का कोई कारखाना होता, तो ऐसी स्थिति नहीं आती।सोनभद्र जनपद से सटे कर्मा क्षेत्र से लेकर मड़िहान तक करीब 100 गांवों में टमाटर और मिर्च की खेती होती है। इस बार कुंभ मेले के कारण रास्ते बंद कर दिए गए, जिससे बाहर के व्यापारी यहां नहीं आ सके।

जो व्यापारी आए भी, वे जाम में फंसने के कारण नुकसान उठाने को मजबूर हुए और उन्होंने आना ही बंद कर दिया। नतीजतन, लाखों कुंतल टमाटर खेतों में ही सड़ने लगे और किसान बेबस हो गए।किसानों के मुताबिक, बाजार में टमाटर की कीमत महज 1.50 से 2 रुपए प्रति किलो मिल रही है, जबकि एक कुंतल टमाटर तुड़वाने में ही 600 रुपए का खर्च आ रहा है।

ऐसे में किसान को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है और मजबूरी में फसल खेत में ही छोड़नी पड़ रही है। एक बीघे में खेती करने वाले किसानों को 25 से 30 हजार रुपए तक का घाटा हो रहा है।मंडी में टमाटर 50-60 रुपए प्रति कैरेट बिक रहा है, जबकि उसे तोड़ने और मंडी तक पहुंचाने में ही 800 रुपए तक खर्च हो रहे हैं, जबकि बिक्री मात्र 200 रुपए में हो रही है। ऐसे में किसानों की कमर टूट गई है।

इस साल महाकुंभ के कारण सीमाएं सील कर दी गईं, जिससे किसानों को खुद माल लेकर मंडी तक जाना पड़ा और उन्हें बड़ा घाटा उठाना पड़ा।क्षेत्र में टमाटर और मिर्च का कोई कारखाना न होने के कारण किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

Advertisement

यदि इस इलाके में कोई प्रसंस्करण इकाई होती, तो टमाटर का उचित उपयोग हो सकता था और किसानों को इतना नुकसान न झेलना पड़ता। उत्पादक कारखाना न होने के कारण किसानों को हर साल भारी नुकसान उठाना पड़ता है और वे अपनी मेहनत पर आंसू बहाने को मजबूर हैं।

Copyright © 2024 Jaidesh News. Created By Hoodaa