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इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच युद्धविराम समझौता, बाइडन ने निभायी अहम भूमिका
वाशिंगटन/तेल अवीव। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को व्हाइट हाउस छोड़ने से पहले एक बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली है। उनकी मध्यस्थता से इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच सीजफायर समझौता हुआ है। इजरायल की राष्ट्रीय सुरक्षा कैबिनेट ने मंगलवार देर रात इस युद्धविराम को मंजूरी दे दी। यह कदम ऐसे समय पर आया है जब 7 अक्टूबर को इजरायल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद हिज़बुल्लाह ने उत्तरी सीमा पर इजरायल पर हमले तेज कर दिए थे।
सीजफायर का समय और शर्तें
राष्ट्रपति बाइडन ने घोषणा की कि यह युद्धविराम इजरायल और लेबनान के समयानुसार बुधवार सुबह 4 बजे (भारतीय समयानुसार सुबह 7:30 बजे) से लागू होगा। समझौते के तहत, इजरायल 60 दिनों के भीतर अपनी सेना को दक्षिणी लेबनान से वापस बुलाएगा। इस दौरान लेबनानी सेना लितानी नदी के दक्षिण में लगभग 5000 सैनिक तैनात करेगी।
हिज़बुल्लाह की सैन्य उपस्थिति होगी समाप्त
कथित तौर पर समझौते के तहत हिज़बुल्लाह को दक्षिणी लेबनान से हटने और अपने सैन्य ढांचे को नष्ट करने की शर्तों को मानना होगा। अमेरिका ने इजरायल को यह अधिकार भी दिया है कि यदि हिज़बुल्लाह सीजफायर का उल्लंघन करता है, तो वह जवाबी कार्रवाई कर सकता है। इजरायली प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान जारी करते हुए कहा, “इजरायल इस प्रक्रिया में अमेरिका के सहयोग की सराहना करता है और अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार सुरक्षित रखता है।”
हमले से पहले इजरायली सेना का जोरदार प्रदर्शन
कैबिनेट की मंजूरी से पहले इजरायल ने दक्षिणी बेरूत में हिज़बुल्लाह के गढ़ पर एक बड़ा हमला किया। मंगलवार दोपहर केवल दो मिनट के भीतर इजरायली वायुसेना ने 20 इमारतों को निशाना बनाकर ध्वस्त कर दिया। इजरायली रक्षा बलों (IDF) ने बताया कि यह हमला 24 वर्षों में पहली बार लितानी नदी के हिस्से तक पहुंचने के लिए किया गया। हालांकि, हमले से पहले स्थानीय निवासियों को क्षेत्र खाली करने की चेतावनी दी गई थी।
कूटनीति की सफलता
हालांकि समझौते की विस्तृत जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन विशेषज्ञ इसे बाइडन प्रशासन की बड़ी कूटनीतिक जीत मान रहे हैं। यह डील इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच पिछले 14 महीनों से चल रहे तनाव को खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
क्या बदलेगा समीकरण?
सीजफायर लागू होने के बाद क्या हिज़बुल्लाह अपनी शर्तें पूरी करेगा और इजरायल-लेबनान सीमा पर शांति बहाल होगी, यह समय ही बताएगा। लेकिन इतना स्पष्ट है कि इस समझौते ने क्षेत्रीय राजनीति में एक बड़ा मोड़ ला दिया है।