वाराणसी
मणिकर्णिका घाट पर पहली बार बायोमास ब्रिकेट्स से हुआ अंतिम संस्कार

वाराणसी। मणिकर्णिका घाट पर पारंपरिक लकड़ी की जगह पहली बार बायोमास ब्रिकेट्स से शव का अंतिम संस्कार किया गया। फसल अवशेषों से तैयार यह इंधन अब अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में न सिर्फ आर्थिक बचत करेगा, बल्कि पर्यावरण को भी राहत देगा।
इसके लिए घाट पर विशेष रूप से एक लोहे का पिंजरा तैयार किया गया है, जिसमें शवों को बायोमास ब्रिकेट्स की मदद से जलाया जा रहा है। अब तक एक शव को जलाने में पांच से नौ मन (200 से 360 किलो) लकड़ी की आवश्यकता होती थी, वहीं बायोमास ब्रिकेट्स से यह काम महज 180 से 200 किलो में पूरा हो रहा है। अनुमान है कि इससे प्रति संस्कार 3 से 5 हजार रुपये तक की बचत होगी।
पंजाब की एक कंपनी द्वारा धान, सरसों और अरहर जैसी फसलों के अवशेषों से ये ब्रिकेट्स तैयार किए गए हैं। मणिकर्णिका घाट पर इसे कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत प्रायोगिक रूप से शुरू किया गया है।
कंपनी के प्रबंध निदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) मोनीश आहूजा ने बताया कि बायोमास ब्रिकेट्स लकड़ी का व्यवहारिक और टिकाऊ विकल्प है। इससे न सिर्फ जंगलों पर दबाव कम होगा, बल्कि किसानों को भी उनके फसल अवशेषों से आय का स्रोत मिलेगा।