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अपराध

भदैनी हत्याकांड: विक्की ने हत्या से पहले मंदिर में टेका माथा, पुलिस ने पांच लाख मोबाइल नंबर और 1047 सीसीटीवी खंगाले

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बचपन से जल रही थी बदले की आग, विक्की ने हत्या से छह महीने पहले खरीदी थी पिस्टल,

वाराणसी के शराब कारोबारी परिवार की निर्मम हत्या का मास्टरमाइंड विशाल गुप्ता उर्फ विक्की आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया। इस सनसनीखेज वारदात के आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस ने 5 लाख मोबाइल नंबरों को ट्रैक किया और 1047 CCTV फुटेज की 310 घंटे की रिकॉर्डिंग खंगाली। पूछताछ में विक्की ने हत्याकांड की पूरी साजिश का खुलासा किया। उसने बताया कि मार्च 2022 से ही वह इस नरसंहार की योजना बना रहा था और मई 2024 में बिहार के मधुबनी से 1 लाख रुपये में .32 बोर की दो देसी पिस्टल और 40 कारतूस खरीदे थे।

ताऊ की प्रताड़ना ने विक्की को बना दिया हत्यारा

विक्की के मुताबिक, साल 2022 की होली से पहले उसके ताऊ राजेंद्र गुप्ता और उनके बड़े बेटे ने उसे बेरहमी से पीटा था। उसी दिन उसने ठान लिया कि अब वह अपने ही घर में नौकर की तरह नहीं रहेगा। वह घर छोड़कर चला गया और सिर्फ अपने छोटे भाई प्रशांत उर्फ जुगनू के संपर्क में रहा। 30 सितंबर 2024 को विक्की भदैनी स्थित अपने घर आया और चाचा व उनके परिवार की गतिविधियों को बारीकी से परखा। 3 नवंबर को उसने परिवार को बताया कि वह अहमदाबाद वापस जा रहा है, लेकिन कुछ घंटों बाद ही गमछे से चेहरा ढककर मजदूर के वेश में भदैनी के आसपास घूमता रहा और यह पता लगाया कि कहां-कहां CCTV कैमरे लगे हैं और भागने के लिए सबसे आसान रास्ता कौन सा होगा।

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चार नवंबर की रात शुरू हुआ खूनी खेल

4 नवंबर 2024 की रात 11:30 बजे विक्की अपने चाचा के निर्माणाधीन मकान (मीरापुर रामपुर) पहुंचा और सोते हुए ताऊ राजेंद्र को गोली मार दी। इसके बाद पैदल लठिया पहुंचा, जहां से फूड डिलीवरी बॉय का फोन लेकर ऑटो बुक किया और अलग-अलग ऑटो से भिखारीपुर, लहरतारा, कैंट स्टेशन होते हुए भदैनी पहुंचा।

5 नवंबर की सुबह 5:30 बजे, राजेंद्र की पत्नी नीतू गुप्ता सबमर्सिबल पंप ऑन करने आईं, तो विक्की ने उन्हें भी गोली मार दी। फिर वह दूसरे तल पर गया और सो रहे अपने चचेरे भाई-बहनों को भी मौत के घाट उतार दिया।

32 राउंड फायरिंग कर की पांच हत्याएं, दादी को नहीं लगी भनक

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विक्की ने नीतू को गोली मारने के बाद सोते हुए सुवेंद्र को बेड पर गोली मारी। नमनेंद्र ने फायरिंग की आवाज सुनकर बाथरूम में छिपने की कोशिश की, लेकिन विक्की ने उसे दौड़ाकर मार दिया। फिर आखिर में उसने गौरांगी को भी गोली मार दी।

हत्या के समय घर में मौजूद विक्की की बीमार दादी शारदा देवी को गोली की आवाज तक नहीं सुनाई दी। विक्की ने पुलिस को बताया कि उसने इस हत्याकांड में 32 राउंड फायरिंग की थी।

हत्या के बाद पुलिस से बचने के लिए विक्की ने अपनाए कई हथकंडे

हत्या के बाद विक्की ने अपना हाथ-मुंह धोया, कपड़े बदले और गमछे से चेहरा ढंककर मजदूर के वेश में बाहर निकला। वह ऑटो से मुगलसराय गया और वहां से पटना चला गया। कुछ दिन पटना रेलवे स्टेशन पर भीड़ में छिपकर रहने के बाद वह कोलकाता पहुंचा और हावड़ा ब्रिज से अपनी पिस्टल और बचे हुए कारतूस हुगली नदी में फेंक दिए। इसके बाद वह मुंबई गया, जहां रेलवे स्टेशन के आसपास कुछ दिन गुजारने के बाद वापस पटना लौटा और गिरफ्तारी तक अलग-अलग रेलवे स्टेशनों पर भीड़ में छिपकर घूमता रहा।

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कैसे पुलिस के जाल में फंसा विक्की

पुलिस ने इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए 3 महीने तक कड़ी मेहनत की। क्राइम ब्रांच की 10 टीमों ने 5 लाख मोबाइल नंबरों को ट्रैक किया, 1047 CCTV फुटेज की 310 घंटे की रिकॉर्डिंग खंगाली और तमिलनाडु, कर्नाटक, दिल्ली समेत 5 राज्यों में छानबीन की।

गिरफ्तारी के बाद विक्की ने पुलिस के सामने अपने सभी अपराध कबूल कर लिए और वारदात की पूरी कहानी बताई। पुलिस ने सभी सुराग जुटाकर इस हत्याकांड की चार्जशीट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

वारदात से पहले मंदिरों में माथा टेका, भगवान से मांगी माफी

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हत्या की योजना बनाने से पहले विक्की ने केदारनाथ, बद्रीनाथ और जम्मू जाकर पूजा-पाठ किया। दीपावली पर घर आकर उसने वारदात को अंजाम देने की प्रैक्टिस की। स्टेशन और बस स्टैंड तक पहुंचने के लिए भी उसने पहले से प्लानिंग कर रखी थी और जनरल ट्रेन का टिकट लिया था।

चाचा पर परदादी की हत्या का भी आरोप

विक्की ने पुलिस को बताया कि उसके चाचा राजेंद्र गुप्ता ने 108 साल की परदादी की हत्या की थी, जिसे परिवार ने स्वाभाविक मौत बताकर छिपा लिया। परदादी ने एक छोटी गलती पर चचेरी बहन को डांटा था, जिससे गुस्से में आकर राजेंद्र ने उन्हें लकड़ी के पीढ़े से इतना पीटा कि उनकी मौत हो गई।

करोड़ों की संपत्ति के इकलौते वारिस बने आरोपी भाई

राजेंद्र गुप्ता की हत्या के बाद उनकी करोड़ों की संपत्ति के इकलौते वारिस विक्की और उसका भाई प्रशांत होंगे। कानूनी रूप से अब उन्हें ही यह संपत्ति मिलेगी। राजेंद्र ने कई मकान और दुकानें अपने नाम कर रखी थीं, जिनका किराया ही हर महीने 10 लाख रुपये से ज्यादा था।

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हर शनिवार को रौद्र रूप धारण करता था राजेंद्र, भतीजों को बेरहमी से पीटता था

विक्की ने बताया कि उसके चाचा राजेंद्र हर शनिवार को उसे और उसके भाई को लोहे की रॉड से बेरहमी से पीटते थे। वह कहता था कि उसके सिर पर शनि सवार हो जाते हैं। यहां तक कि करंट लगाकर भी उन्हें प्रताड़ित किया जाता था। उसकी बड़ी मां नीतू, राजेंद्र के उकसावे पर अपने बच्चों के साथ विक्की और उसके भाई को अलग-थलग रखती थी।

तीन महीने तक देशभर में चली पुलिस की खोजबीन, आखिरकार गिरफ्त में आया विक्की

इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए क्राइम ब्रांच की 10 टीमें लगातार तीन महीने तक देशभर में खोजबीन करती रहीं। वारदात से लेकर गिरफ्तारी तक की कहानी में विक्की की हर चालाकी सामने आई, लेकिन आखिरकार वह पुलिस के शिकंजे में आ ही गया।

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