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पिता की अर्थी उठाकर 10 वें दिन दिया PCS का इंटरव्यू, डिप्टी जेलर बना बेटा
सुल्तानपुर। लंभुआ तहसील अंतर्गत बधुपुर गांव में मध्यम परिवार के रहने वाला सदानंद सिंह ने अपने दिवंगत पिता स्व. महेंद्र सिंह की अर्थी उठाकर दसवें दिन पीसीएस का इंटरव्यू देने गया। सदानंद से सवाल हुआ, ‘राम भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं ? जवाब मिला – भगवान राम का जीवन दर्शन ही दर्पण की तरह है।’ इस जवाब पर उसे डिप्टी जेलर का पद मिल गया। बेटे की इस उपलब्धि पर विधवा मां के आंसू छलक उठे हैं। साथ ही साथ पूरा जिला सदानंद सिंह पर फक्र महसूस कर रहा है।
सदानंद ने साल 2009 में हाईस्कूल व 2011 में इंटरमीडिएट की परीक्षा स्वामी विवेकानंद विद्या आश्रय प्रयागराज से पास किया। मैट्रिक में उसे 77 प्रतिशत तो इंटर में 78 प्रतिशत अंक मिले। पांच वर्ष बाद 2016 में KNIPSS सुल्तानपुर से उसने इंजीनियरिंग की परीक्षा पास किया। फिर उसने परिवार की ही फर्म पर काम शुरू कर दिया। सपना था आफिसर बनने का तो उसने प्रयागराज में ही किराया पर कमर लेकर सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दिया। बगैर किसी कोचिंग के वो नोट्स बनाता, मार्केट से किताबें लाता, मोबाइल पर इंटरनेट सर्च करता। रोज आठ घंटे वो मेहनत करता।

वहीं इसी बीच भाग्य ने ऐसी पलटी खाई कि उसकी आंखों के सामने अंधेरा आ गया। इंटरव्यू से ठीक दस दिन पहले 2 जनवरी को पिता का देहांत हो गया । सदानंद को लगा सपने टूट जाएंगे, लेकिन संयुक्त परिवार में बड़े पिता से लेकर चाचा और फिर मां और बहनों ने सबने हौसला बढ़ाया और आखिर उसने इंटरव्यू दिया। मंगलवार को जब रिजल्ट आया तो उसकी आंखों से खुशी और गम दोनों के आंसू एक साथ बहे। उपलब्धि पर जहां वो खुश था वहीं पिता को ये उपलब्धि ना दिखा पाने का मलाल भी रहा।
सदानंद दो भाई और दो बहन हैं। छोटे भाई ने ग्रेजुएशन कंप्लीट किया है तो दो सगी बहनों में बड़ी प्राइमरी टीचर और छोटी बहन सोशल वर्कर की तैयारी कर रही हैं। मां रेखा सिंह गृहणी हैं। सदानंद के बड़े पिता वीरेंद्र प्रताप सिंह इंटर कॉलेज के रिटायर्ड टीचर हैं। पिता स्व:महेंद्र सिंह बिजनेसमैन थे। सदानंद कहते हैं कि सभी के लिए बस एक संदेश है, ईमानदारी मेहनत का रास्ता पकड़े यही सफलता की सबसे बड़ी पूंजी है।
