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वाराणसी

हरि बोल सेवा समिति एवं श्री अग्रसेन सेवा संस्थान द्वारा धर्म संघ प्रांगण में भव्य श्री कृष्ण रासलीला महोत्सव का आयोजन

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रिपोर्ट – प्रदीप कुमार

तीसरा दिन : मीरा बाई के श्री कृष्ण भक्ति प्रसंग का हुआ मंचन

वाराणसी। काशी की सामाजिक एवं धार्मिक संस्था हरि बोल सेवा समिति एवं श्री अग्रसेन सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय रासलीला के तीसरे दिन मंगलवार को माता मीराबाई की श्री कृष्ण भक्ति का मंचन किया गया। रासलीला का निर्देशन अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एवं राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत ब्रज विभूति रसाचार्य स्वामी फतेह कृष्ण शर्मा रसराज द्वारा किया जा रहा है।

रासलीला के इस प्रसंग में मीराबाई के जीवन चरित्र को चित्रित किया गया। इस प्रसंग के माध्यम से बताया गया कि मीराबाई पूर्व जन्म में गोपी थी। जिनका जन्म बरसाना के शिकशौली और विवाह नंदगांव में हुआ था। जहां भगवान श्री कृष्ण को उन्होंने किसी कारणवश अपना मुख नहीं दिखाया और जब बाद में गोपी को भान हुआ कि उसने गलती की है और वो भगवान श्री कृष्ण के दर्शन नहीं कर पाई। तब भगवान श्री कृष्ण ने उसे वरदान दिया कि आगे के जन्म में मीराबाई के नाम से जन्म लेंगी और श्री गिरधर नाम से भगवान श्री कृष्ण को प्राप्त करेगी।

अगले जन्म में मीराबाई का जन्म राजस्थान के कुड़की गांव में दूदा जी के पौत्री के रुप में हुआ। मीराबाई बचपन से ही भगवान श्री गिरधर की भक्ति करती थी। इनका विवाह चित्तौड़गढ़ के महाराजा भोजराज जो की मेवाड़ के महाराणा सांगा के पुत्र थे के साथ हुआ था। राजा भोजराज धार्मिक विचारों वाले राजा थे, इसलिए मीराबाई के भजन, कीर्तन, सत्संग आदि में किसी प्रकार का विघ्न नहीं होने देते थे। विवाह के कुछ दिनों बाद ही पति की मृत्यु हो जाने से वह विरक्त हो गई और साधु संतों की संगति में हरि कीर्तन करते हुए अपना समय व्यतीत करने लगी। पति के परलोकवास के बाद उनकी भक्ति दिन प्रतिदिन बढ़ती गई और यह मंदिरों में जाकर वहां भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के आगे भक्तिभाव में नाचती रहती थी। मीराबाई का श्री कृष्ण की भक्ति में नाचना, गाना राजपरिवार को अच्छा नहीं लगता था। चित्तौड़गढ़ के राजा विक्रम ने कई बार मीराबाई को विष देकर मारने की कोशिश की। राजपरिवार के इस प्रकार के व्यवहार से परेशान होकर मीराबाई वृंदावन चली गई और साधु संतों के संगत में रहने लगी। वे जहां जाती लोग उन्हें देवी जैसा सम्मान देते थे। कुछ समय बाद वह द्वारिका जाकर भगवान श्री कृष्ण के मुखारबिन्दू में प्रवेश कर गयी।

इस अवसर पर रासलीला के संयोजन से जुड़े अमर कुमार रस्तोगी (महामंत्री, हरि बोल सेवा समिति), मोहन अग्रवाल, संतोष कुमार अग्रवाल ‘‘आढ़त वाले’’ (अध्यक्ष, श्री अग्रसेन सेवा संस्थान), कृष्ण शरण अग्रवाल (संयोजक), अनिल कुमार जैन (संरक्षक, संकल्प संस्था), संतोष जी (कर्णघंटा), सचिन अग्रवाल ‘‘आढ़त वाले’’, समित अग्रवाल, विवेक अग्रवाल, मोहनचंद्र (सिल्क वाल)े, आलोक शाह, राजकिशोर अग्रवाल, अनिल बंसल, गिरधर अग्रवाल, दीपक अग्रवाल ‘‘लायंस’’, पवन अग्रवाल ‘‘चैतन्य ’’ आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

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