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वाराणसी

कफ सिरप घोटाले में 102 फर्में जांच के दायरे में, करोड़ों की फर्जी बिलिंग उजागर

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वाराणसी। प्रतिबंधित कोडीन युक्त कफ सिरप की खरीद-बिक्री में वाराणसी की 102 दवा फर्मों की संलिप्तता सामने आई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की ओर से व्यापक जांच जारी है। विभाग ने पांच दिन के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए टीमों को लगाया है।

76 फर्मों का सत्यापन जारी

तीन ड्रग इंस्पेक्टर अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर 76 फर्मों के दस्तावेज़, बिलिंग रिकॉर्ड और दवा स्टॉक का सत्यापन कर रहे हैं। जिन 26 फर्मों के खिलाफ कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है, उनके लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। नोटिस भी भेजे जा चुके हैं।

फर्जी बिलिंग के लिए बनी थीं कई कंपनियां

विभागीय जांच में पता चला कि कई फर्मों ने केवल फर्जी बिलिंग के उद्देश्य से पंजीकरण कराया था। कार्यालयों में न तो दवाओं का स्टॉक मिला और न ही किसी तरह का गोदाम या सैंपल उपलब्ध था। सिर्फ एक कुर्सी और मेज के सहारे कार्यालय दिखाकर अवैध कारोबार चलाया जा रहा था।

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डीएसए और महाकाल फर्म एक ही स्थान पर संचालित

जांच में पता चला कि डीएसए फार्मा और महाकाल मेडिकल स्टोर का कार्यालय एक ही जगह से चलाया जा रहा था। इस फर्जीवाड़े में भोला प्रसाद जायसवाल और उसका बेटा शुभम जायसवाल मुख्य भूमिका में पाए गए। बताया गया कि भोला प्रसाद के नाम पर झारखंड की बंद पड़ी एक फैक्टरी से करीब 100 करोड़ रुपये का प्रतिबंधित कफ सिरप खरीदा गया था।

अन्य राज्यों की जानकारी से खुला राज

हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड की दवा कंपनियों से जब उत्पादन और सप्लाई का डेटा मांगा गया, तो गड़बड़ी उजागर हुई। पता चला कि 26 फर्मों ने अकेले करीब तीन लाख शीशियां कोडीन युक्त सिरप की मंगाई थीं। इसी आधार पर जांच तेज की गई।

इन 26 फर्मों के लाइसेंस निरस्त होने की तैयारी:
श्री आरएस फार्मास्यूटिकल्स, जीडी इंटरप्राइजेज, न्यू पीएल फार्मा, सिंडिकेट इंटरप्राइजेज, जीआरएस मेडिकल एजेंसीज, दिनेश मेडिकल एजेंसी, शिल्पी फॉर्मा, श्रीलोकेश फार्मा, खन्ना फार्मा, श्री वर्षा मेडिकल एजेंसी, उर्मिला फार्मास्यूटिकल्स, जीटी इंटरप्राइजेज, हर्ष फार्मा, शिवम फार्मा, श्री एससी फार्मा, डीएसए फार्मा, देवनाथ फार्मेसी, आशा डिस्ट्रीब्यूटर्स, महाकाल मेडिकल स्टोर, निशांत फार्मा, हरिओम फार्मा, मां संकठा मेडिकल, अनविनय मेडिकल एजेंसी, श्रीबालाजी मेडिकल, वीपीएम मेडिकल एजेंसी और जायसवाल मेडिकल्स।

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पूर्व अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध

सूत्रों के अनुसार, विभाग के कुछ पूर्व अधिकारी भी इस पूरे नेटवर्क को सक्रिय रखने में शामिल रहे। सप्तसागर दवा मंडी के करीब 150 स्टॉकिस्टों पर दबाव बनाकर बिलिंग कराई जाती थी। स्टॉकिस्टों को दाम से मात्र दस रुपये अधिक का लाभ मिलता था, जबकि असली माल सीधे शुभम के गोदाम तक पहुंच जाता था।

शिवपुर में होती थीं आर्थिक डील

जांच में यह भी सामने आया है कि शिवपुर चुंगी के पास एक अपार्टमेंट में शुभम जायसवाल अपने दो साथियों के साथ लेन-देन की बैठक करता था। इतना ही नहीं, शुभम ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कारोबारियों से संपर्क बढ़ाने के लिए एक स्थानीय हिस्ट्रीशीटर को वाहन भी फाइनेंस कराया था।

पुलिस पूरे मामले में शामिल 28 लोगों से पूछताछ कर रही है। विभाग का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई तेजी से की जाएगी।

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