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गोरखपुर

स्कूली शिक्षा में अनुभवात्मक बदलाव: NEP 2020 के तहत शैक्षणिक पर्यटन को मिली बढ़त

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ऐतिहासिक, वैज्ञानिक और प्राकृतिक स्थलों का भ्रमण बना ज्ञानार्जन का नया माध्यम

नई दिल्ली/गोरखपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत स्कूली शिक्षा में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, जहाँ अब अनुभवात्मक शिक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। इसी क्रम में, देश भर के स्कूलों ने पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में विभिन्न अध्ययन यात्राओं और शैक्षणिक पर्यटन का आयोजन शुरू कर दिया है, जिससे छात्रों में विषयों को सीखने के प्रति रुचि और उत्साह में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

NEP 2020 का मुख्य उद्देश्य छात्रों को केवल रटकर सीखने की पद्धति से बाहर निकालकर, उन्हें वास्तविक जीवन के अनुभवों के माध्यम से ज्ञान अर्जित करने के लिए प्रेरित करना है। शैक्षणिक पर्यटन इसी दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। इन यात्राओं के दौरान छात्रों को ऐतिहासिक स्मारकों, वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं, औद्योगिक इकाइयों, और प्राकृतिक स्थलों का दौरा कराया जाता है।

एक वरिष्ठ शिक्षाविद् ने बताया, “जब छात्र इतिहास की किताबों में ताजमहल या कुतुब मीनार के बारे में पढ़ते हैं, तो वह केवल एक पाठ होता है। लेकिन जब वे उसे अपनी आँखों से देखते हैं और वहाँ के इतिहास को समझते हैं, तो वह ज्ञान उनके मस्तिष्क में स्थायी रूप से अंकित हो जाता है। शैक्षणिक पर्यटन इसी जुड़ाव को मज़बूत कर रहा है।”

इन अध्ययन यात्राओं का सीधा प्रभाव छात्रों की उपस्थिति और सीखने की प्रक्रिया पर दिख रहा है। छात्र अब विज्ञान और भूगोल जैसे जटिल विषयों को प्रयोगशालाओं या प्राकृतिक वातावरण में देखकर अधिक आसानी से समझ पा रहे हैं।

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स्थानीय विरासत स्थलों के भ्रमण से छात्रों में देश की समृद्ध संस्कृति, कला और इतिहास के प्रति गहरा सम्मान और जागरूकता पैदा हो रही है। समूह में यात्रा करने, संसाधनों का प्रबंधन करने और नई जगहों पर चुनौतियों का सामना करने से उनमें नेतृत्व क्षमता, टीम वर्क और समस्या समाधान कौशल का विकास हो रहा है।

सरकारी स्कूलों के एक प्रधानाचार्य ने इस पहल पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा, हमने देखा है कि यात्रा से लौटने के बाद छात्र कक्षा में अधिक सक्रिय और जिज्ञासु रहते हैं। यह केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि ज्ञानार्जन का एक सशक्त माध्यम बन चुका है।”

शिक्षा मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय मिलकर भी ‘युवा पर्यटन क्लब’ जैसी पहल को बढ़ावा दे रहे हैं, ताकि स्कूल स्तर पर ही ऐसी शैक्षणिक गतिविधियों को संस्थागत रूप दिया जा सके। यह नीति छात्रों को न केवल एक बेहतर नागरिक बल्कि एक जागरूक वैश्विक नागरिक बनने की ओर अग्रसर कर रही है, जो अपने ज्ञान को वास्तविक जीवन में लागू करने में सक्षम है।

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