गोरखपुर
गोरखपुर चिड़ियाघर में जानवरों की मौत से हड़कंप, प्रबंधन पर उठे सवाल
कुछ महीनों में सात बड़े जीवों की हो चुकी है मौत
गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खाँ प्राणी उद्यान में कुछ ही महीनों के भीतर सात बड़े वन्यजीवों की लगातार मौतों से हड़कंप मच गया है। कभी संरक्षण और आकर्षण का केंद्र माने जाने वाले इस चिड़ियाघर को अब लोग “जानवरों का कब्रगाह” कहने लगे हैं। हाल ही में बाघिन मेलानी की रहस्यमयी मौत ने पूरे वन विभाग को सकते में डाल दिया है। इससे पहले भी बाघ केसरी, मादा भेड़िया भैरवी, बाघिन शक्ति, तेंदुआ मोना, शेर भरत और एक दुर्लभ प्रजाति के कॉकटेल पक्षी की मृत्यु हो चुकी है।
लगातार हो रही इन मौतों ने न केवल उद्यान प्रबंधन बल्कि वन विभाग की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी कम अवधि में सात बड़े जीवों की मौत सामान्य नहीं है। यह कहीं न कहीं चिड़ियाघर में देखभाल, खान-पान, स्वास्थ्य निगरानी और तापमान नियंत्रण में भारी लापरवाही की ओर इशारा करता है।
स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों और सामाजिक संगठनों ने इन मौतों पर गहरी चिंता व्यक्त की है और उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े जानवरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए विशेष व्यवस्था की जरूरत होती है, लेकिन यहां लगातार होने वाली मौतें प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाती हैं।
उद्यान प्रशासन ने बाघिन मेलानी की मौत के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट मंगाई है और एक जांच समिति गठित करने की बात कही है। अधिकारी दावा कर रहे हैं कि मौतों के सही कारणों का पता लगाकर उचित कार्रवाई की जाएगी।
वन्यजीव संरक्षण के उद्देश्य से बनाए गए इस प्राणी उद्यान में हो रही लगातार मौतों ने लोगों के मन में भय और निराशा पैदा कर दी है। जनता अब पारदर्शी जांच और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रही है, ताकि गोरखपुर का यह चिड़ियाघर फिर से जीव संरक्षण का प्रतीक बन सके, न कि मौतों का अड्डा।
