गोरखपुर
वकालत की पाक माटी से नया ‘न्याय-सूर्य’ उदय
बलवंत शाही ‘न्याय-योद्धा’ के रूप में सिविल कोर्ट बार काउंसिल चुनाव में उतरे
गोरखपुर। न्याय की धरती, संतों की नगरी, गोरखपुर की पावन माटी पर एक नए ‘न्याय-सूर्य’ के उदय की आहट सुनाई दे रही है। यह आहट है गोरखपुर सिविल कोर्ट बार काउंसिल सदस्य पद के प्रत्याशी बलवंत शाही की, जिन्होंने अपने दिल में गोरखपुर के समग्र विकास का जुनून और आँखों में अधिवक्ताओं के लिए समर्पित एक स्वर्णिम भविष्य का सपना संजोकर इस चुनावी समर में कदम रखा है। उनका चुनावी अभियान मात्र वोट माँगने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अधिवक्ताओं के सम्मान, सुविधाओं और न्याय की गति को नई दिशा देने का एक भावनात्मक संकल्प है।

बलवंत शाही ने एक सुनियोजित और ज़मीनी तैयारी के साथ अपनी मुहिम को गति दी है। उनके ‘जिला स्तरीय दौरे’ केवल औपचारिक भेंट नहीं, बल्कि अपनी मिट्टी, अपने लोगों से जुड़ने का एक हृदयस्पर्शी प्रयास हैं। अपने गृह जनपद गोरखपुर की पवित्र माटी के प्रति उनका गहरा लगाव इन दौरो में साफ झलकता है। तहसील क्षेत्र गोला, खजनी, बांसगांव, सहजनवा—हर जगह बलवंत शाही ने न केवल अधिवक्ताओं से मुलाकात की, बल्कि उनकी पीड़ा, उनकी आशाओं और उनकी दैनिक संघर्षों को अत्यंत संवेदनशीलता से समझा।
उनका यह अभियान, एक ‘ग्यारह सूत्रीय मांग पत्र’ के रूप में, मात्र एक चुनावी एजेंडा नहीं, बल्कि न्याय के मंदिर के इन कर्मठ सेवकों के प्रति उनके गहरे समर्पण का प्रमाण है। इस भावनात्मक अपील में सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात जो दिल को छू जाती है, वह है अधिवक्ताओं के प्रति उनकी समर्पित भावना।

बलवंत शाही ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उनका पहला संकल्प और पहली प्राथमिकता होगी अधिवक्ताओं के प्रति समर्पित भावना”। यह वादा केवल एक नारा नहीं, बल्कि सेवा और समर्पण का एक भावुक बंधन है।
उनकी मांगों के केंद्र में वह सपना है, जो हर गोखपुरवासी और यहाँ के अधिवक्ता की आँखों में बरसों से पल रहा है—गोरखपुर में हाईकोर्ट की स्थापना। यह मांग केवल वकालत के पेशे को आसान बनाने की नहीं, बल्कि इस क्षेत्र के लाखों लोगों को सुलभ, त्वरित न्याय दिलाने की एक महा-क्रांति है। बलवंत शाही इस मांग को एक नई ऊर्जा और दृढ़ता के साथ उठा रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, उनका ध्यान उस वर्ग पर भी है जो अक्सर उपेक्षित रह जाता है—असहाय, गरीब, निर्बल, वरिष्ठ अधिवक्ता और वकालत के क्षेत्र में नये कदम रखने वाले युवा अधिवक्ता। बलवंत शाही ने उनके भविष्य को अपनी प्राथमिकता बताया है। उनका मानना है कि अनुभवी वरिष्ठों का सम्मान और युवाओं का मार्गदर्शन, बार काउंसिल की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

उनकी भावुक अपील का एक और महत्वपूर्ण स्तंभ है—अधिवक्ताओं के परिवार को शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति सरकार की सहभागिता पर जोर। बलवंत शाही समझते हैं कि एक अधिवक्ता का जीवन तब ही निर्बाध हो सकता है, जब उसका परिवार सुरक्षित और शिक्षित हो। यह मांग केवल पेशे की नहीं, बल्कि परिवार के मानवीय पहलुओं को छूती है।
बलवंत शाही का यह चुनाव प्रचार एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक न्याय-योद्धा के संकल्प का प्रतीक है, जो केवल कुर्सी के लिए नहीं, बल्कि अधिवक्ताओं के सम्मान, सुविधाओं और गोरखपुर की न्याय-व्यवस्था के समग्र विकास के लिए लड़ रहा है। उनका ज़मीनी जुड़ाव, उनकी विनम्र अपील और उनकी आँखों में झलकता ‘समर्पण’ का भाव गोरखपुर के अधिवक्ताओं के दिलों को छू रहा है। बलवंत शाही ने न्याय की इस पाक माटी को साक्षी मानकर एक नए ‘न्याय-सूर्य’ के उदय की तैयारी शुरू कर दी है, जिसके प्रकाश में हर अधिवक्ता का भविष्य जगमगा उठेगा। यह चुनाव मात्र पद का नहीं, बल्कि गोरखपुर के स्वर्णिम ‘न्याय-अधिकार’ का चुनाव है।
