Connect with us

गाजीपुर

ग्राम सभा बघांव में मनाया गया गौ पूजा एवं गोवर्धन पूजा

Published

on

बहरियाबाद (गाजीपुर)। ग्राम सभा बघांव स्थित गौशाला स्थल पर गौ पूजा एवं गोवर्धन पूजा धूमधाम से संपन्न हुआ। इस अवसर पर ग्राम प्रधान प्रतिनिधि उदयभान (पूर्व सैनिक) ने बताया कि जिलाधिकारी गाजीपुर के निर्देशानुसार इस वर्ष गौ पूजा का आयोजन करने के लिए राज्य सरकार की तरफ से लक्ष्मी यादव (पशु चिकित्सा अधिकारी) की उपस्थिति में गोवर्धन पूजा एवं गौ पूजा का कार्य संपन्न हुआ। गौशाला की साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था, स्वच्छ पेयजल आदि की व्यवस्था उत्तम रही।

इस अवसर पर पशु चिकित्सा अधिकारी लक्ष्मी यादव ने उपस्थित लोगों को बताया कि गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो दिवाली के ठीक अगले दिन मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन होता है। गोवर्धन पूजा का मुख्य महत्व भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत से जुड़ा है।

इंद्र का अहंकार: पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार इंद्र देव (वर्षा और तूफान के देवता) ने अत्यधिक वर्षा करके ब्रजभूमि में विनाश मचा दिया था, क्योंकि ब्रजवासी उनकी पूजा करने के बजाय भगवान कृष्ण की पूजा करने लगे थे।

गोवर्धन पर्वत उठाना: ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था। उन्होंने सभी ग्रामीणों, पशुओं और अपने आश्रितों को पर्वत के नीचे आश्रय दिया।

Advertisement

इंद्र का समर्पण: सात दिनों तक लगातार बारिश होती रही, लेकिन पर्वत के नीचे सभी सुरक्षित रहे। अंततः, इंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान कृष्ण से क्षमा मांगी। तब श्रीकृष्ण ने पर्वत को नीचे रख दिया।

पूजा का प्रारंभ: इसके बाद ब्रजवासियों ने इंद्र देव के बजाय भगवान कृष्ण को धन्यवाद देने और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू की, जिसे गोवर्धन पूजा कहा जाने लगा।

अन्नकूट: इस दिन मंदिरों और घरों में अन्नकूट का आयोजन होता है। अन्नकूट का अर्थ है ‘अन्न का ढेर’। भक्त भगवान कृष्ण को विभिन्न प्रकार के 56 भोग (छप्पन प्रकार के पकवान) अर्पित करते हैं। यह अन्न केवल भगवान को अर्पित किया जाता है और बाद में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। कई स्थानों पर भक्त गोबर (गोमय) का उपयोग करके छोटी गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाते हैं और उसे फूलों, घास और दीपकों से सजाते हैं। वे पर्वत को भगवान कृष्ण का स्वरूप मानकर उसकी पूजा करते हैं।

इस अवसर पर धर्मेंद्र कुमार, कमलेश पाल, राजदेव पाल, लल्लन यादव, बिरजू राम, अजय भान, सनी यादव, नदीम अंसारी एवं सम्मानित ग्रामवासी उपस्थित रहे।

Advertisement

Copyright © 2024 Jaidesh News. Created By Hoodaa

You cannot copy content of this page