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गोरखपुर

सीएम योगी आज गोरखपुर में करेंगे आधुनिक फोरेंसिक लैब का उद्घाटन

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पुलिस जांच को मिलेगी नई गति

गोरखपुर। कानून-व्यवस्था और वैज्ञानिक जांच व्यवस्था को नई मजबूती देने की दिशा में मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर को एक महत्वपूर्ण सुविधा देने वाले हैं। जिला अस्पताल इमरजेंसी के सामने 72.78 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित उच्चीकृत क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला (अपग्रेडेड आरएफएसएल) का आज सुबह 11 बजे सीएम उद्घाटन करेंगे। इस अपग्रेडेशन के बाद यह लैब बी श्रेणी से उन्नत होकर ए श्रेणी में परिवर्तित हो गई है।

नवनिर्मित छह मंजिला भवन अत्याधुनिक फोरेंसिक तकनीकों से लैस है। अपग्रेडेड आरएफएसएल में अब लैपटॉप, मोबाइल, सीसी कैमरा फुटेज और अन्य डिजिटल डिवाइस से डाटा रिकवरी की उन्नत सुविधा उपलब्ध होगी। साइबर फोरेंसिक क्षमता बढ़ने के साथ ही अब यहां वाइस एनालिसिस यानी आवाज की वैज्ञानिक जांच भी संभव हो सकेगी। नई प्रयोगशाला में आग्नेय अस्त्रों की बैलिस्टिक जांच से लेकर विस्फोटक पदार्थों के वैज्ञानिक विश्लेषण तक की यूनिटें स्थापित की गई हैं। इससे न केवल पूर्वांचल बल्कि नेपाल सीमा से जुड़े मामलों में भी जांच की रफ्तार और गुणवत्ता दोनों बढ़ेंगी।

इस परियोजना का निर्माण कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम ने पूरा किया है। सोमवार को एडीजी जोन मुथा अशोक जैन, डीएम दीपक मीणा और एसएसपी राजकरन नय्यर ने अपग्रेडेड आरएफएसएल का निरीक्षण कर तैयारियों का जायजा लिया। अधिकारियों का कहना है कि नई ए-ग्रेड फोरेंसिक लैब से केस की जांच पहले की तुलना में अधिक तेज, सटीक और वैज्ञानिक हो जाएगी।

आधुनिक फॉरेंसिक लैब के होंगे ये फायदे :

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लखनऊ भेजे जाने वाले नमूनों की अब गोरखपुर में ही जांच होगी। इससे पुलिस और न्यायिक प्रक्रिया दोनों की गति कई गुना बढ़ेगी।

डिजिटल फोरेंसिक लैब में मोबाइल, लैपटॉप, सीसी कैमरा फुटेज और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डाटा की रिकवरी आसानी से हो सकेगी। इससे साइबर अपराधों की जांच को सीधा लाभ मिलेगा।

वाइस सैंपल की तुलना, वीडियो की तकनीकी जांच, एडिटिंग का पता लगाना—अब सब गोरखपुर में संभव होगा। संवेदनशील मामलों में यह जांच बेहद महत्वपूर्ण होती है।

फायरिंग होने पर गोली की पहचान, फायरिंग की दूरी व दिशा, विस्फोटक सामग्री का विश्लेषण—अब यहीं पर उपकरणों से होगा, जिससे गंभीर मामलों का पर्दाफाश तेजी से होगा।

नमूने भेजने, तकनीकी विशेषज्ञों को बुलाने और लंबी प्रतीक्षा से छुटकारा मिलेगा। जांच की गुणवत्ता और दक्षता बढ़ेगी और सरकारी खर्च की बचत होगी।

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