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गाजीपुर

सावन में क्यों वर्जित है तामसिक भोजन?

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सावन में सात्विक भोजन की बढ़ी मांग, आयुर्वेद भी करता है समर्थन

बहरियाबाद (गाजीपुर)। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दौरान भक्त शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। मांस-मछली तामसिक भोजन माने जाते हैं, जबकि पूजा-पाठ के लिए सात्विक भोजन को प्राथमिकता दी जाती है। सात्विक भोजन मन को शांत और पवित्र रखने में मदद करता है, जो आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए आवश्यक माना जाता है।

अहिंसा का पालन: कई हिंदू धर्मग्रंथों और परंपराओं में अहिंसा (किसी भी जीव को नुकसान न पहुंचाना) पर जोर दिया गया है। सावन के महीने में इस सिद्धांत का विशेष रूप से पालन किया जाता है। मांसाहार का त्याग करके जीव हत्या से बचा जाता है।

ब्रह्मचर्य और संयम: सावन में कई लोग ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं और संयमित जीवन जीते हैं। मांसाहारी भोजन को उत्तेजक माना जाता है, जो संयम के मार्ग में बाधा डाल सकता है।

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पाचन तंत्र पर प्रभाव: सावन का महीना आमतौर पर मानसून के दौरान पड़ता है। इस समय नमी और उमस अधिक होती है, जिससे पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। मांस, मछली और अंडे जैसे गरिष्ठ भोजन को पचाने में अधिक समय और ऊर्जा लगती है, जिससे पेट संबंधी समस्याएं जैसे अपच, दस्त या पेट दर्द हो सकते हैं।

संक्रमण का खतरा: मानसून के दौरान जीवाणु और विषाणु अधिक सक्रिय होते हैं। इस मौसम में मांसाहारी भोजन को सही तरीके से स्टोर न करने या पकाने पर खाद्य जनित बीमारियों और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। मछलियां और समुद्री जीव भी इस समय प्रजनन करते हैं और उनके सेवन से कई तरह की बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण: आयुर्वेद के अनुसार, मानसून ‘पित्त’ दोष को बढ़ाता है। मांस, मछली और अंडे जैसे भोजन शरीर में ‘पित्त’ को और बढ़ा सकते हैं, जिससे शरीर में गर्मी बढ़ सकती है और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। शाकाहारी और सात्विक भोजन इस दोष को संतुलित रखने में मदद करता है।

पानी की गुणवत्ता: बरसात के मौसम में पानी की गुणवत्ता अक्सर खराब हो जाती है, जिससे जल जनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। मांसाहारी भोजन की सफाई और तैयारी में भी पानी का उपयोग होता है, जिससे संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है।

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संक्षेप में, सावन में मांसाहार का त्याग धार्मिक आस्था, आत्म-संयम, स्वास्थ्य संबंधी सतर्कता और वैज्ञानिक कारणों का एक संयोजन है, जो इस पवित्र महीने में शारीरिक और मानसिक शुद्धि पर जोर देता है।

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