वाराणसी
सड़क चौड़ीकरण में देवभूमि का मुआवजा लेने का आरोप, भू-माफियाओं की साजिश उजागर
वाराणसी। भू-माफिया और अतिक्रमणकारी इस कदर बेखौफ हो चुके हैं कि अब भगवान की संपत्ति भी उनके निशाने पर आ गई है। वाराणसी में भगवान शिव के नाम दर्ज करीब 24 एकड़ की लबे रोड जमीन को कुछ लोगों ने राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से अपने नाम वरासत करा लिया। इतना ही नहीं, सड़क चौड़ीकरण के दौरान इस भूमि के हिस्से का करोड़ों रुपये का मुआवजा भी हड़प लिया गया। एसडीएम से की गई शिकायत और जांच के बाद सच्चाई सामने आई, जिसके बाद करोड़ों की यह जमीन दोबारा भगवान शिव के नाम दर्ज कर दी गई।
मामला तहसील पिंडरा क्षेत्र का है। बाबतपुर–कपसेठी मार्ग पर ग्राम सभा चिलबिला और दीनापुर की सीमा पर एक शिव मंदिर स्थित है। इसके आसपास कई आराजी नंबरों में भगवान शिव के नाम कुल लगभग 24 एकड़ भूमि दर्ज है। चिलबिला निवासी जवाहिर और मोतीराम ने पिंडरा के एसडीएम को शिकायत कर बताया कि भगवान शिव के नाम की इस भूमि के सरवराकार (प्रबंधक) के रूप में महेंद्र गिरी चेला भगवान गिरी का नाम राजस्व अभिलेखों में अंकित था।
शिकायत के अनुसार महेंद्र गिरी की मृत्यु के बाद वर्ष 1995 में उनके उत्तराधिकारियों, पुत्र और प्रपौत्र ने नायब तहसीलदार पंद्रह की मिलीभगत से तथ्यों को छिपाते हुए अपने नाम वरासत दर्ज करा ली और स्वयं को भू-स्वामी घोषित कर लिया। इसके बाद लगभग एक दशक पूर्व जब बाबतपुर–कपसेठी मार्ग का चौड़ीकरण हुआ, तो इन फर्जी भू-स्वामियों ने भगवान शिव के हिस्से की जमीन का करोड़ों रुपये का मुआवजा भी प्राप्त कर लिया।
इस मामले में जवाहिर सहित अन्य शिकायतकर्ताओं ने वर्ष 2021 में एसडीएम पिंडरा के न्यायालय में तजबीजसानी (रेस्टोरेशन) का वाद दाखिल किया। जांच के दौरान पुराने दस्तावेजों का परीक्षण किया गया, जिसमें भूमि का स्वामित्व स्पष्ट रूप से भगवान शिव के नाम दर्ज पाया गया। जांच के बाद नायब तहसीलदार पंद्रह ने रेस्टोरेशन की शिकायत को सही माना और सभी फर्जी भू-स्वामियों के नाम काटते हुए भूमि को पुनः भगवान शिव के नाम दर्ज करा दिया गया।
इस संबंध में जिला शासकीय अधिवक्ता (राजस्व) वाराणसी अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि देवता की संपत्ति अपरिवर्तनीय होती है, क्योंकि संपत्ति देवता को समर्पित होती है। महंत या पुजारी धार्मिक संपत्ति का मालिक नहीं होता, बल्कि केवल ट्रस्टी या प्रबंधक होता है। चिलबिला–दीनापुर स्थित यह भूमि देवता शिव जी की स्थायी संपत्ति है, जिसे किसी भी निजी व्यक्ति के स्वामित्व में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता।
