चन्दौली
“सच में करते हैं भारत से प्यार, तो विदेशी प्रोडक्ट्स को कहें अलविदा” : डॉ. विनय प्रकाश तिवारी

चंदौली। भारत को आर्थिक रूप से सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रत्येक भारतीय नागरिक को स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना होगा। क्योंकि अमेरिका ने हमारे देश भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाकर भारत को आर्थिक रूप से कमजोर करने की साजिश की है। इसका हर भारतीय को करारा जवाब देने की जरूरत है। इसलिए प्रत्येक भारतीय नागरिक अमेरिका द्वारा निर्मित वस्तुओं का परित्याग कर अमेरिका की साजिश को विफल करने में सहायता करे। उक्त बातें डॉ. विनय प्रकाश तिवारी, संस्थापक डैडीज़ इंटरनेशनल स्कूल, बिशुनपुरा कांटा ने कहीं।
डॉ. विनय प्रकाश तिवारी ने कहा कि आज की दुनिया केवल भावनाओं की नहीं, बल्कि आर्थिक युद्ध की है। जब अमेरिका ने भारतीय सामान पर लगभग 50 प्रतिशत टैरिफ बढ़ा दिया है, तो यह सिर्फ़ टैक्स नहीं था, बल्कि हमारे निर्यातकों पर एक सीधा वार था, ताकि उनका माल महंगा हो जाए और अमेरिकी कंपनियां बाज़ार पर काबिज़ रहें। लेकिन सच्चाई यह है कि हमारे पास भी ताकत है। यदि हम भारतीय थोड़ी सी भी खपत अमेरिकी ब्रांड्स पर घटा दें, तो उनका घाटा हज़ारों करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
इसमें मैकडॉनल्ड्स, पिज़्ज़ा हट, डोमिनोज़, सबवे, स्टारबक्स, बर्गर किंग, कोका-कोला, पेप्सीको की बिक्री यदि दस प्रतिशत घटेगी, तो अमेरिका को 5,500 करोड़ का नुकसान होगा। नाइकी, स्केचर्स, लीवाइस, रैंगलर, ली, टॉमी हिलफिगर, कैल्विन क्लाइन, गैप आदि की बिक्री भी यदि दस प्रतिशत घटेगी, तो 1,500 करोड़ का नुकसान होगा।
उन्होंने बताया कि अमेरिका के कपड़ा टैरिफ से भारत को 8,000 करोड़ का नुकसान हुआ है। वहीं, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, अमेज़न, डेल, इंटेल, क्वालकॉम की दस प्रतिशत बिक्री घटने पर अमेरिका को 25,000 करोड़ का नुकसान होगा। फोर्ड, हार्ले डेविडसन, जीप, जनरल मोटर्स आदि की भी मात्र बीस प्रतिशत बिक्री घटने पर अमेरिका को 1,600 करोड़ का नुकसान होगा।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी नीतियों ने भारत के वित्तीय निर्यात को 10,000 करोड़ तक की चोट पहुंचाई है। यदि हम भारतीय अमेरिकी ब्रांड्स की सिर्फ़ 30 प्रतिशत खपत घटा दें, तो उन्हें सालाना 1,20,000 करोड़ से अधिक का घाटा होगा।
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ़ बहिष्कार नहीं है, बल्कि आर्थिक स्वाभिमान की भी लड़ाई है। स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग ही असली देशभक्ति है।