गोरखपुर
श्रीमद्भागवत कथा में रासलीला और गोपेश्वर महादेव की लीला का हुआ दिव्य वर्णन
गोरखपुर। खजनी क्षेत्र के ग्राम सभा बदरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सप्तम दिवस पर श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। कथा का आयोजन ग्राम के श्रद्धालु मनोज त्रिपाठी, राजकुमार त्रिपाठी, सन्तोष त्रिपाठी, डॉ. नागेश त्रिपाठी और प्रदीप त्रिपाठी द्वारा किया गया, जो इस आयोजन के मुख्य यजमान भी रहे। यज्ञाचार्य के रूप में आचार्य सन्तोष त्रिपाठी महाराज ने वैदिक विधि-विधान से कार्यक्रम का संचालन किया।
श्रीमद्भागवत कथा का वाचन श्रीधाम अयोध्या से पधारे अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास आचार्य गौरव कृष्ण शास्त्री जी महाराज के मुखारविंद से हुआ। उन्होंने सप्तम दिवस की कथा में भगवान श्रीकृष्ण की पावन रासलीला का दिव्य वर्णन किया। उन्होंने कहा कि रासलीला वास्तव में आत्मा और परमात्मा के मिलन की अद्भुत लीला है। जब गोपियों ने भगवान को आर्थ भाव से भजना प्रारंभ किया, तब भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में अपनी मधुर बंसी बजाई। बंसी की धुन केवल उन्हीं गोपियों को सुनाई दी, जो सच्चे प्रेम और भक्ति भाव से प्रभु का स्मरण कर रही थीं।
महाराज श्री ने बताया कि जब गोपियां वन में भगवान के पास पहुँचीं, तो श्रीकृष्ण ने उनसे प्रश्न किया कि इतने रात्रि में अपने पतियों को छोड़कर कैसे आना हुआ। तब गोपियों ने कहा कि जिनके पास से आई हैं, वे पंचभौतिक जीव हैं, और आप उन आत्माओं के परमात्मा हैं — इसीलिए हम आपके पास आई हैं। यह सुनकर प्रभु प्रसन्न हुए और आत्मा का परमात्मा से मिलन हुआ।
कथा के दौरान आचार्य जी ने बताया कि जब मां पार्वती को रासलीला का समाचार मिला, तो वे भी रासस्थली में पहुंचीं और श्रीकृष्ण के संग रास में सम्मिलित हुईं। कुछ समय बाद जब भगवान भोलेनाथ को इस दिव्य लीला का ज्ञान हुआ, तो वे भी रास देखने पहुँचे। लेकिन द्वारपालों ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि रास में पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। तब भगवान शिव ने मां पार्वती से अनुमति लेकर गोपी का रूप धारण किया और रास में सम्मिलित हुए। इस पर श्रीकृष्ण ने उन्हें ‘गोपेश्वर महादेव’ नाम से अभिषिक्त किया।
पूज्य आचार्य गौरव कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने कथा के अंत में कंस वध और रुक्मिणी विवाह की सुंदर झांकियों का मनोहारी प्रदर्शन कराया। कथा पांडाल में भक्ति रस की ऐसी वर्षा हुई कि श्रोता भावविभोर हो उठे। उपस्थित भक्तों ने भगवान श्रीकृष्ण की जय-जयकार करते हुए कथा का आनंद लिया।
पूरे क्षेत्र में धार्मिक उत्साह और भक्ति का वातावरण छा गया। आयोजन समिति द्वारा प्रसाद वितरण और भंडारे की व्यवस्था की गई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर पुण्य लाभ अर्जित किया।
