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वाराणसी

वाराणसी को मिलेगा प्रदेश का पहला नेचुरोपैथी और पंचकर्म हट्स

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वाराणसी। नए साल में काशी को उत्तर प्रदेश का पहला नेचुरोपैथी और पंचकर्म हट्स मिलने जा रहा है। यह केंद्र प्राकृतिक चिकित्सा और पंचकर्म के माध्यम से लोगों को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करेगा। इसके निर्माण से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं का भी विस्तार होगा।

प्रदेश का यह पहला नेचुरोपैथी और पंचकर्म हट्स वाराणसी-गाजीपुर मार्ग स्थित बहादुरपुर गांव में बन रहा है। कार्यदायी संस्था यूपीपीसीएल ने अब तक लगभग 70 प्रतिशत कार्य पूरा होने का दावा किया है। निर्माण कार्य की अंतिम समय-सीमा अगस्त 2026 तय की गई है, हालांकि इसे तय समय से पहले पूरा करने की तैयारी चल रही है। जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने हाल ही में निरीक्षण कर कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए थे।

9.84 करोड़ की लागत, अगस्त 2024 से कार्य आरंभ
नेचुरोपैथी और पंचकर्म हट्स के निर्माण पर कुल 9.84 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। अब तक लगभग 5.22 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। अगस्त 2024 से इस परियोजना पर कार्य प्रारंभ हुआ था। इसका शिलान्यास वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भूमिपूजन के उपरांत आयुष राज्य मंत्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ और अजगरा विधायक त्रिभुवन राम ने संयुक्त रूप से किया था।

भवन का आकर्षक माडल, आधुनिक सुविधाओं से लैस
पंचकर्म हट जी-प्लस वन का होगा। इस खूबसूरत भवन में दो सुईट और स्विमिंग पूल भी बनाए जा रहे हैं। बड़े भवन में आयुर्वेद चिकित्सा की संपूर्ण व्यवस्था रहेगी। परिसर में स्ट्रीट पोल, एलईडी लैंप से प्रकाश की समुचित व्यवस्था होगी, वहीं औषधीय पौधों की हरितिमा परिसर की शोभा बढ़ाएगी। परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी स्थापित किया जाएगा। हट्स तक पहुंचने के लिए इंटरलॉकिंग और सीसी रोड की सुविधा उपलब्ध होगी।

प्राकृतिक उपचार की समग्र व्यवस्था
पंचकर्म एक पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली है, जिसका उद्देश्य शरीर को शुद्ध और पुनर्जीवित करना है। इसमें पांच मुख्य क्रियाएं—वमन, विरेचन, अनुवासन, आस्थापन और नस्य—शामिल हैं, जो शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने और दोषों को संतुलित करने में सहायक होती हैं। यह चिकित्सा पद्धति शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को पुनः स्थापित करती है।

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हृदय रोग, मधुमेह और मानसिक स्वास्थ्य का होगा उपचार
नेचुरोपैथी में समग्र उपचार की व्यवस्था रहेगी, जिसमें हृदय रोग, मधुमेह, मानसिक स्वास्थ्य और अन्य बीमारियों का इलाज संभव होगा। कोविड-19 महामारी के दौरान आयुर्वेद ने लोगों के जीवन को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाई थी। इसके बाद से लोगों में आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति आकर्षण तेजी से बढ़ा है।

हट्स के निर्माण के बाद यह केंद्र न केवल बनारस बल्कि गाजीपुर, आजमगढ़, चंदौली सहित पूरे पूर्वांचल और बिहार के लोगों के लिए भी लाभकारी साबित होगा।

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