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वाराणसी

भीषण गर्मी में काशी विश्वनाथ धाम का बुरा हालः अर्श से फर्श तक श्रद्धालुओं का इम्तिहान, आसमान से बरस रही आग तो जमीन तप रही अंगारों के समान

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रिपोर्ट – प्रदीप कुमार

वाराणसी| करोड़ों रुपये खर्च कर तैयार काशी विश्वनाथ धाम इस भीषण गर्मी में यहां आने वाले श्रद्धालुओं का कड़ा इम्तिहान लेने लगी है। दरअसल विश्वनाथ मंदिर का विस्तार हो गया है तो अब जगह ही जगह हो गई है और पूरे परिसर में पत्थर बिछा दिए गए हैं जो इस भीषण गर्मी में तपने लगे हैं। इधर बीच मौसम चाहे जैसा हो धाम के लोकार्पण के बाद से यहां आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में भी बेहिसाब इजाफा हुआ। दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं का इन दिनों बुरा हाल है। आग की तरह तप रहे पत्थरों पर नंगे पांव चलना बेहद कष्टकारी हो गया है। लोग एन केन प्रकारेण अपने पांव बचाते चलते नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं विशाल मंदिर परिसर में कहीं कोई छाजन न होने से बुजुर्गों और विकलांगो को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

काशी विश्वनाथ धाम में ऊपर से बरसती आग के बीच विकलांगों और बुजुर्गों का बुरा हालविश्वनाथ धाम में अर्श से फर्श तक श्रद्धालुओं का ले रहा इम्तिहान
बता दें कि अप्रैल के पहले ही सप्ताह में वाराणसी का तापमान 40-42 डिग्री तक पहुंच गया है। सुबह नौ बजते बजते ही इतनी कड़क धूप निकल आ रह है कि बहुतेरे लोग घरों में ही दुबक जा रहे हैं। लेकिन आस्थावान जो देश के कोने-कोने से बाबा विश्वनाथ का दर्शन-पूजन करने आ रहे हैं उनका बुरा हाल है। अर्श से फर्श तक तप रहा है। विशाल प्रांगण में न पत्थर मानों दहक रहे हैं और कहीं छाजन का भी इंतजाम नहीं है।

सात सौ करोड़ की लागत से निर्मित धाम में सिर छिपाने तक की जगह नहीं
सात सौ करोड़ की लागत से निर्मित इस विश्वनाथ धाम में इन दिनों सिर छिपाने तक की जगह नहीं। द्वार चाहे जो हो मंदिर के गर्भ गृह तक पहुंचना दुरूह कार्य हो गया है। धाम आने वाले श्रद्धालु तपते पत्थरों पर अपने पांव बचाने को दौड़ते-भागते नजर आ रहे हैं। कहें कि शिवभक्तों को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है तो गलत न होगा। आलम ये कि नन्हे बच्चो को गोद में लिए महिलाएं दौड़ती नजर आ रही हैं।

ह्वीलचेयर से आने वाले बुजुर्गों और विकलांगों का बुरा हाल
विश्वनाथ धाम में आने वाले बुजुर्गों और विकलागों के लिए ह्वीलचेयर का इंतजाम तो किया गया है। पर इन बुजुर्गों और विकलांगों का इस भीषण गर्मी में प्रवेश द्वार से गर्भगृह तक जाने में सारा कर्म हो जा रहा है। आसमान से बरसते अंगारे और भट्टी बनी जमीन से हो कर गर्भगृह तक पहुंचना किसी कठिन तप से कम नहीं।

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मंदिर चौर पर ही उतरना पड़ता है जूता-चप्पल
दरअसल धाम परिसर के मंदिर चौक तक पहुंचते ही जूता-चप्पल उतार देना होता है। फिर श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर के कुछ दूर पहले बिछे मैट तक पैदल ही दौड़कर जाना पड़ रहा है और तपती पथरीली जमीन से बचना बहुत ही दुरूह कार्य हो गया है। वजह पूरे धाम परिसर में कहीं भी छांजन का इंतजाम नहीं है। इससे श्रद्धालुओं में काफी नाराजगी है।

बहुत कठिन है इस गर्मी में इन पत्थरों पर चलना
कोलकाता से आए राजीव चटोपाध्याय बताते हैं कि अंगारे की तरह तप रहे पत्थरों पर नंगे पांव चलना बहुत कठिन है। पैर जल रहे हैं। अगर कारपेट आदि का इंतजाम हो जाए तो श्रद्धालुओं को काफी राहत होगी, अन्यथा जैसे जैसे गर्मी बढ़ेगी शिव भक्तों की परेशानी और बढेगी। यहीं के मनसुख लाल भी राजीव की बात से इत्तिफाक रखते हैं। महाराष्ट्र के अमरावती जिले से आए बुजुर्ग गणेश आचार्य भी दौड़ते भागते नजर आए। वो भी छाजन और कारपेट की जरूरत बतला रहे थे।

दरी या मैट बिछ जाती तो सहूलियत होती
गाजीपुर से आए एक भक्त तो गोद में बच्चे को लिए दौड़ते नजर आए। कहा क्या करें पैर जल रहा है इसलिए बच्चे को गोद में उठाकर भागना पड़ रहा है। इससे निजात दिलाने को कुछ करना चाहिए। अगर सिर पर छांव और जमीन पर मैट बिछ जाए तो काफी राहत होगी। कुछ अन्य भक्त धाम के प्रवेश द्वार से गर्भगृह तक मैट या दरी बिछाने की बात कर रहे थे।

बहुत जल्द पूरे परिसर में हो जाएगा छाजन
वही मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि दर्शनार्थियो को कोई तकलीफ न हो इसके लिए मंदिर प्रशासन पूरी कोशिश कर रहा है। जयपुर, मुंबई तथा अन्य बड़े शहरों से केनौपी मंगाई गई है। फिलहाल स्थानीय स्तर पर टेंट लगाए जा रहे हैं। हम लोग दिन रात इस प्रयास में हैं कि विश्वनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओ को कोई दिक्कत न हो। अब अप्रैल के पहले ही हफ्ते में गर्मी का ये सितम है। फिर भी हम लोग जुटे हैं, बहुत जल्द पूरे परिसर में छाजन लगवा दिया जाएगा।

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