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वाराणसी

बेटी ने पिता को दी मुखाग्नि

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वाराणसी। शहर के समाजसेवी एवं व्यवसायी राकेश कुमार अग्रवाल के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार में ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने सभी की आंखें नम कर दी। बड़ी पुत्री पूजा अग्रवाल ने अपने पिता को मुखाग्नि दी, जो न केवल नारी सशक्तिकरण का प्रतीक बना, बल्कि पारिवारिक संस्कारों और बेटी के कर्तव्यनिष्ठ भाव का भी उदाहरण पेश किया।

समाज में जहाँ बेटियों को पारंपरिक संस्कारों में सीमित माना जाता है, वहीं राकेश कुमार अग्रवाल के परिवार ने इस रूढ़ि को तोड़ते हुए नया संदेश दिया। अंतिम संस्कार में मौजूद लोगों ने इसे “परिवार की दृढ़ता, शिक्षा और संस्कारों की झलक” बताया।

बीते एक महीने से बीमारी के दौरान उनकी दोनों पुत्रियाँ अपने पिता की सेवा में लगी रहीं। निजी जीवन की चिंता किए बिना उन्होंने निष्ठा और प्रेम से सेवा निभाई। परिवारिक सदस्य अनिल कुमार जैन ने बताया कि बड़ी पुत्री पूजा अग्रवाल निजी क्षेत्र में नौकरी करती हैं, लेकिन जब सेवा के दिनों में नौकरी पर लौटने का सवाल उठा, तो सासु माँ ने कहा, “अभी तुम्हारे पिता को तुम्हारी ज़रूरत है, नौकरी तो फिर मिल जाएगी।”

स्व. राकेश कुमार अग्रवाल अपने सरल, धर्मनिष्ठ और विनम्र स्वभाव के लिए जाने जाते थे। वे हमेशा समाज की भलाई के लिए तत्पर रहते थे और अपने कार्यों से सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करते थे।

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अंत्येष्टि के बाद आर्य समाज पद्धति से ‘त्रिरात्रि’ का आयोजन उनकी दोनों पुत्रियों द्वारा किया जा रहा है, जो परिवार की धार्मिक आस्था और परंपराओं के प्रति सम्मान को दर्शाता है। इस विधि में पुत्रियों का नेतृत्व करना समाज के लिए नई सोच और प्रेरणा प्रस्तुत करता है।

राकेश कुमार अग्रवाल का परिवार—दो पुत्रियाँ, दो पौत्र और उनके पति—आज भी उनके द्वारा सिखाए गए संस्कार, सेवा भावना और मानवीय मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

उनके जीवन से यह संदेश मिलता है कि संस्कार और सेवा की परंपरा लिंग से नहीं, भावना से तय होती है। पुत्रियों द्वारा निभाया गया यह कर्तव्य समाज में प्रेरणा का नया उदाहरण बन गया है।

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