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वाराणसी

फिट इंडिया मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत योग एवं प्राणायाम

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योगः कर्मसु कौशलम् -कर्म में निपुणता को प्राप्त करना ही योग है – प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा ।

योग,आध्यात्मिक भारत को जानने और समझने का एक तरीका है – प्रोफेसर हरिशंकर पाण्डेय

जिसे निज देश, निज भाषा और निज गौरव का अभिमान नहीं! वह नर नहीं, नरपशु निरा, और मृतक समान है – डॉ सत्येन्द्र कुमार यादव ।

कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा ने उक्त अवसर पर कहा कि
योगः कर्मसु कौशलम् -कर्म में निपुणता को प्राप्त करना ही योग है वास्तविकता ये है कि अन्त:करण की जो वृत्तीयाँ या मन है इन्द्रियों से जुडते हैं तभी हम उसको महसूस करते हैं।समस्त ज्ञानो के प्रति आसाधारण कारण अन्त:करण जो मन है उसके साथ जो चक्षु वादी जो वाह्य कर्णो वृत्तियाँ जो संबंध हैं उन्ही सम्बंधों से ये सारे वस्तु का ज्ञान हमें सम्भव है। उसका एक मार्ग प्रत्यक्ष ईश्वरोपसना से भी मन को एकाग्र कर सकते हैं।योग के माध्यम से स्वस्थ शरीर और उत्तम विचार का जन्म होता है।असाध्य रोगों को दूर करने का माध्यम योग है तथा चित्त वृत्त को शुद्ध करता है उक्त विचार आज
सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी में पूर्वांह 7.00 बजे फिट इण्डिया मिशन के अन्तर्गत व्यक्त किया। फिट इण्डिया मिशन कार्यक्रम के अवसर पर परिसर स्थित दीक्षांत लॉन मे कार्यक्रम के संरक्षक प्रो बिहारी लाल शर्मा ने व्यक्त किए।।
अध्यक्षता कर रहे प्रो हरिशंकर पाण्डेय ने फिट इण्डिया मिशन कार्यक्रम के अन्तर्गत कहा कि इसे अच्छे स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती को बनाए रखने के लिए स्वीकार किया गया है। योग आपको फिट रखता है और फिर आप अपने जीवन की योजना बनाते हैं. इस जीवन शैली को अपनाये. रोज योग करें इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इसे जीवन का अंग बना लेना चाहिए। उदहारण के लिए यह तनाव सहित और कई समस्याओं को दूर रखता है। यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
संयोजक डॉ सत्येंद्र कुमार यादव ने कहा कि योग सदियों से हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है लेकिन हममे से काफी लोगों ने इसे भुला दिया,योग को अपनाये। योग को ‘चित्त की वृत्तियों के निरोध’ (योगः चित्तवृत्तिनिरोधः) के रूप में परिभाषित किया है। उन्होंने ‘योगसूत्र’ नाम से योगसूत्रों का एक संकलन किया जिसमें उन्होंने पूर्ण कल्याण तथा शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि के लिए अष्टांग योग (आठ अंगों वाले योग) का एक मार्ग है।योग और प्राणायाम के माध्यम से हम अपने प्राणों की रक्षा करते हुये स्वस्थ रह सकते हैं।ज्ञान योग और कर्म योग को जोड़ने वाली सेतु से जुड़कर ही हम योग के तरफ बढ सकते हैं।योग,आध्यात्मिक भारत को जानने और समझने का एक तरीका है। इसके साथ ही योग भारत की संस्कृति और विरासत से भी जुड़ा हुआ है। योग हमारी प्राचीन विद्या की ज्ञान राशि और जीवन पद्धति रही है उसे पुनर्जीवित कर पूरी दुनिया के सामने लायी गयी,इससे सम्पूर्ण विश्व सम्मोहीत होकर अनुकरण व अनुसरण कर रही है यह हम सभी के लिये गौरव और सौभाग्य का विषय है।
प्रशिक्षण
खेल प्रशिक्षक आदित्य कुमार एवं डॉ राजकुमार मिश्र के द्वारा सभी सहभगियोँ को विभिन्न प्रकार के आसनों के माध्यम से योग और प्राणायाम मे योग प्रोटोकाल के अनुसार ग्रीवा सञ्चालन , स्कन्ध सञ्चालन , घुटना सञ्चालन , त्रिकोणासन , कटिचक्रासन , व्रजासन , शशकासन , उत्तानपादासन , अर्ध हलासन , हलासन , वक्रासन, बटरफ्लाई , भद्रासन , मकरासन , शलभासन , भुजंगासन तथा प्राणायाम में कपालभाति ,अनुलोम विलोम, नाड़ी शोधन प्राणायाम ,शीतली प्राणायाम ,भ्रामरी आदि प्राणायाम किया गया।
पुन:राष्ट्रगान के साथ फिट इण्डिया मिशन प्रशिक्षण संपन्न हुआ।

फिट इण्डिया मिशन कार्यक्रम के अवसर पर समस्त विश्वविद्यालय परिवार का रहा सहभाग

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उक्त महोत्सव में कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा,कुलसचिव राकेश कुमार,प्रो रामकिशोर त्रिपाठी,परीक्षा नियन्त्रक प्रो सुधाकर मिश्र, निदेशक डॉ पद्माकर मिश्र,प्रो रामपूजन पान्डेय, प्रो अमित शुक्ला,प्रो हरिशंकर पान्डेय,प्रो दिनेश गर्ग,प्रो हरिप्रसाद अधिकारी,प्रो रमेश प्रसाद, प्रो महेन्द्र पाण्डेय,प्रो हीरककान्त चक्रवर्ती,प्रो विजय कुमार पान्डेय,प्रो राघवेंद्र दुबे, प्रो रजनीश शुक्ल,प्रो शम्भू नाथ शुक्ल,प्रो शैलेश कुमार,प्रो राजनाथ,प्रो विधु द्विवेदी, प्रो विद्या चन्द्रा,प्रो विशाखा शुक्ला, डॉ रवि शंकर पाण्डेय, डॉ कुंजबिहारी द्विवेदी, डॉ दुर्गेश पाठक, डॉ सत्येंद्र कुमार यादव, डॉ नितिन आर्य, डॉ विजेन्द्र आर्य, डॉ विजय कुमार शर्मा, डॉ मधुसूदन मिश्र, उपेन्द्र द्विवेदी,कर्मचारी,विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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