गोरखपुर
पगड़ी और किराए पर आवंटित होंगी वेंडिंग जोन की दुकानें
गोरखपुर। नगर निगम हरिओम नगर स्थित वेंडिंग जोन के संचालन और निर्माण का निजीकरण कर रहा है। पहले जहां पटरी व्यवसायियों को मुफ्त या रियायती दरों पर स्थान आवंटित होता था, वहीं अब दुकानों के लिए पगड़ी और मासिक किराया दोनों देना होगा। निगम को इस व्यवस्था से प्रतिमाह लगभग एक लाख रुपये की आय होने का अनुमान है।
हरिओम नगर वेंडिंग जोन का पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है, जिसमें कुल 45 दुकानें बनाई जा रही हैं। इनके निर्माण और संचालन की जिम्मेदारी एक निजी एजेंसी को सौंपी गई है। नई व्यवस्था के तहत पटरी व्यवसायियों को 7,000 से 10,000 रुपये तक मासिक किराया और पगड़ी के तौर पर मोटी रकम अदा करनी पड़ सकती है।
नगर निगम का मानना है कि निजीकरण से वेंडिंग जोन का बेहतर प्रबंधन, सफाई तथा आवश्यक सुविधाओं जैसे पानी, बिजली और शौचालय उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। हालांकि, नई नीति के चलते वर्षों से पटरी पर आजीविका चलाने वाले व्यवसायियों के सामने नई आर्थिक चुनौती खड़ी हो गई है।
गोरखपुर में रुस्तमपुर, ट्रांसपोर्टनगर, चकबंदी कार्यालय के पास सहित कई वेंडिंग जोन मौजूद हैं। वहीं, शहर भर में बड़ी संख्या में छोटे व्यापारी सड़क किनारे ठेला-खोमचा लगाकर व्यापार करते हैं, जहां अव्यवस्था के कारण कई समस्याएं अधिस्थायी रूप से बनी रहती हैं। निगम की योजना के अनुसार, इस मॉडल को आगे अन्य वेंडिंग जोनों पर भी लागू किया जा सकता है।
एजेंसी संचालक अमन श्रीवास्तव ने बताया कि, “निविदा के आधार पर प्रति माह एक लाख रुपये में हरिओम नगर वेंडिंग जोन का पुनर्निर्माण और संचालन हमें सौंपा गया है। दुकानों को पगड़ी और किराया मॉडल पर आवंटित किया जाएगा। एक से डेढ़ लाख रुपये पगड़ी और पांच से आठ हजार रुपये मासिक किराया निर्धारित किया जाएगा। दिसंबर तक दुकानें बनकर तैयार हो जाएंगी।”
अपर नगर आयुक्त दुर्गेश मिश्रा ने कहा, “हरिओम नगर वेंडिंग जोन के संचालन की जिम्मेदारी निजी एजेंसी को दी गई है। शहर के अन्य वेंडिंग जोन का निर्माण भी जल्द शुरू किया जाएगा।”
नगर निगम का यह कदम राजस्व वृद्धि के साथ-साथ वेंडिंग जोन को सुव्यवस्थित करने पर केंद्रित है, लेकिन पटरी व्यवसायियों को अपनी रोजी-रोटी बचाने के लिए अब अधिक लागत वहन करनी होगी।
