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गाजीपुर

नौ दशक बाद भी बहरियाबाद का विद्यालय रास्ता विहीन, छात्र घटे

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सीएम पोर्टल पर शिकायत के बाद भी नहीं मिला रास्ता, बहरियाबाद के छात्रों का भविष्य अधर में

गाजीपुर। बहरियाबाद क्षेत्र के ऐतिहासिक कंपोजिट पूर्व माध्यमिक विद्यालय आराजी कस्बा स्वाद, बहरियाबाद का अस्तित्व नौ दशक बाद भी रास्ते के अभाव में संकट में है। वर्ष 1930 में स्थापित यह विद्यालय कभी आसपास के लगभग पांच दर्जन गांवों के छात्रों के लिए शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। लेकिन वर्तमान में यहां पहुंचने के लिए कोई सुनिश्चित मार्ग नहीं होने से विद्यालय का संचालन बेहद कठिन हो गया है।

विद्यालय में कार्यरत अध्यापकों को निजी साधनों से आने के बाद गाड़ियों को दूर-दराज खड़ा कर विद्यालय तक पैदल पहुंचना पड़ता है। यही स्थिति छात्रों और उनके अभिभावकों की भी है, जिससे बच्चों के लिए नियमित उपस्थिति एक गंभीर समस्या बन चुकी है। पुराने समय का रास्ता अब पूरी तरह अतिक्रमित हो चुका है, जिससे यह शैक्षणिक संस्थान रोज़ाना दम तोड़ता दिख रहा है।

इस विद्यालय को निर्वाचन के दौरान मतदान केंद्र के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है। लोकसभा, विधानसभा और ग्राम पंचायत चुनावों में यहां तीन बूथ बनाए जाते हैं, लेकिन रास्ता न होने के कारण मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करने में भारी कठिनाई होती है। कई मतदाता तो केवल इसी कारण मतदान नहीं कर पाते हैं। अधिकारियों और मतदान कर्मियों को भी भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है।

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बरसात के मौसम में स्थिति और भयावह हो जाती है। कीचड़ और जलभराव के चलते विद्यालय तक पहुंचना लगभग असंभव हो जाता है, जिससे छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। यही कारण है कि आज यह प्रतिष्ठित विद्यालय अपनी पहचान खोने की कगार पर है।

इस गंभीर समस्या को लेकर विद्यालय के सहायक अध्यापक अवनी कुमार ने मुख्यमंत्री पोर्टल 1076 पर भी शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। अभिभावकों की मजबूरी यह है कि वे चाहकर भी अपने बच्चों को इस विद्यालय में पढ़ने नहीं भेज पा रहे हैं।

विद्यालय के प्रभारी रतन कुमार चौहान, मनोज कुमार सिंह, नागेंद्र कुशवाहा, सुनील कुमार सिंह, रामप्रवेश मिश्रा, हवलदार राम और राम प्रवेश यादव सहित सभी कर्मचारियों ने राज्य सरकार से अपील की है कि विद्यालय तक आने-जाने के लिए स्थायी और सुगम मार्ग का निर्माण शीघ्र कराया जाए। यदि शीघ्र समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले समय में इस ऐतिहासिक विद्यालय का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।

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