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वाराणसी

देव दीपावली की तैयारियों पर गंगा के बढ़े जलस्तर का असर, कई घाटों के रास्ते डूबे

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वाराणसी। मोंथा चक्रवात के प्रभाव से हुई बारिश ने गंगा के जलस्तर को लगभग आठ सेंटीमीटर तक बढ़ा दिया है, जिससे आगामी देव दीपावली महोत्सव की तैयारियों पर संकट मंडराने लगा है। घाटों की ओर जाने वाले कई रास्तों पर पानी भर जाने से श्रद्धालुओं और प्रशासन दोनों के सामने चुनौती खड़ी हो गई है।

प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि जलस्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है और सुरक्षा इंतजामों को मजबूत किया जा रहा है।

कई घाटों का संपर्क टूटा, भीड़ नियंत्रण बड़ी चुनौती

मीरघाट से सटे क्षेत्रों में आने-जाने के मार्ग पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। भदैनी, जानकी और छेदीलाल घाट की स्थिति सबसे अधिक गंभीर बताई जा रही है। भदैनी घाट से जानकी घाट की ओर जाने वाले मार्ग पर अब केवल संकरी पत्थर की सीढ़ी ही बची है, जो फिसलनभरी और जोखिमपूर्ण है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि भीड़ के समय यहां धक्का-मुक्की का खतरा रहता है और ज़रा-सी चूक से लोग सीधे गहरी गंगा में गिर सकते हैं। छेदीलाल घाट की ओर जाने वाला रास्ता भी पूरी तरह पानी में डूबा हुआ है, जिससे वहां पैदल जाना बेहद कठिन हो गया है।

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भदैनी घाट मार्ग बेहद तंग, महिलाओं की सुरक्षा चिंता का विषय

तुलसीघाट से भदैनी घाट तक जाने का मार्ग मात्र आठ फुट चौड़ा है। एक ओर ऊंची दीवार और दूसरी ओर गंगा का बहाव होने से यहां फिसलने या गिरने की आशंका बनी रहती है। नगर निगम ने एहतियात के तौर पर बैरिकेडिंग की है, लेकिन यह भीड़ को संभालने के लिए नाकाफी मानी जा रही है।

हर साल तुलसीघाट पर कंस वध लीला के दौरान भारी भीड़ जुटती है। भीड़ के बीच भागदौड़ और भगदड़ जैसी स्थिति बन जाने से कई बार महिलाओं के साथ अशोभनीय व्यवहार की शिकायतें भी सामने आई हैं।

असि और तुलसी घाट की स्थिति भी चिंताजनक

असि घाट पर बाढ़ के पानी के साथ आई सिल्ट और कीचड़ ने समूचे क्षेत्र को असमान बना दिया है। नगर निगम की टीम दिनभर इसे समतल करने में जुटी रही, लेकिन व्यवस्थाएं अभी संतोषजनक नहीं हैं।

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वहीं तुलसीघाट पर प्लेटफॉर्म के नीचे पानी और गड्ढे भरे हुए हैं। इस घाट पर भी श्रीकृष्ण लीला कार्यक्रमों के कारण भारी भीड़ जुटनी तय है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ सकता है।

प्रशासन के लिए कठिन परीक्षा

देव दीपावली पर लाखों श्रद्धालु घाटों पर दीये जलाने आते हैं। ऐसे में गंगा का बढ़ा जलस्तर और डूबे हुए मार्ग भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था के लिए प्रशासन के सामने बड़ी परीक्षा साबित हो रहे हैं। अधिकारी लगातार स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं ताकि पर्व का आयोजन बिना किसी दुर्घटना के सम्पन्न कराया जा सके।

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