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गोरखपुर

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव : राज्य निर्वाचन आयोग ने तय की जमानत राशि और खर्च सीमा

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गोरखपुर। उत्तर प्रदेश में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन 2026 और उपचुनावों की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसी क्रम में राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तर प्रदेश ने नामांकन पत्रों का मूल्य, जमानत राशि (निक्षेप) और उम्मीदवारों के अधिकतम व्यय की सीमा तय कर दी है। आयोग के सचिव संतोष दुबे द्वारा जारी आदेश संख्या 1024/रा.नि.आ.-3/पं.नि./58-24/2025 दिनांक 31 अक्टूबर 2025 के अनुसार, यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू होगी।

आयोग ने स्पष्ट किया है कि पंचायत चुनावों में पारदर्शिता और समानता बनाए रखने के उद्देश्य से यह नई व्यवस्था पूर्व में जारी सभी आदेशों को निरस्त करती है। नए निर्देशों के अनुसार, अब ग्राम पंचायत सदस्य से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक सभी पदों के लिए नामांकन शुल्क, जमानत राशि और अधिकतम खर्च सीमा का निर्धारण एक समान तरीके से किया गया है।

निर्धारित नई दरें इस प्रकार हैं:

ग्राम पंचायत सदस्य: सामान्य वर्ग के लिए नामांकन शुल्क 200, जमानत राशि 800 रुपये तथा अधिकतम व्यय सीमा 1 लाख निर्धारित की गई है। वहीं, अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिला उम्मीदवारों के लिए नामांकन शुल्क 100, जमानत राशि 400 तय की गई है।

ग्राम प्रधान: सामान्य वर्ग के लिए नामांकन शुल्क 600, जमानत 3,000 और व्यय सीमा 1,25,000 रहेगी। आरक्षित वर्गों और महिला उम्मीदवारों के लिए यह क्रमशः 300, 1,500 और 1,25,000 तय की गई है।

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क्षेत्र पंचायत सदस्य: सामान्य वर्ग के लिए 600 नामांकन शुल्क, 3,000 जमानत राशि तथा 2,50,000 खर्च सीमा रहेगी, जबकि आरक्षित वर्ग व महिला उम्मीदवारों के लिए यह क्रमशः 300, 1,500 रहेगी।

जिला पंचायत सदस्य: सामान्य वर्ग के लिए नामांकन शुल्क 1,000, जमानत 8,000 तथा अधिकतम व्यय सीमा 3,50,000 निर्धारित की गई है। आरक्षित वर्ग और महिलाओं के लिए 500 नामांकन शुल्क और 4,000 जमानत राशि तय की गई है।

क्षेत्र पंचायत प्रमुख: सामान्य वर्ग के लिए 2,000 नामांकन शुल्क, 5,000 जमानत तथा 3,50,000 की खर्च सीमा रहेगी।

जिला पंचायत अध्यक्ष: सामान्य वर्ग के लिए 3,000 नामांकन शुल्क, 25,000 जमानत राशि और 3,50,000 व्यय सीमा तय की गई है। वहीं, आरक्षित वर्ग व महिला उम्मीदवारों के लिए 1,500 नामांकन शुल्क और 12,500 जमानत राशि होगी।

राज्य निर्वाचन आयोग ने जिलाधिकारियों व जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इन आदेशों का पालन सुनिश्चित करें। आयोग का यह कदम पंचायत चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता, समानता और वित्तीय अनुशासन को मजबूती देने की दिशा में अहम माना जा रहा है।

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