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गोरखपुर

डीआईजी ने की साइबर अपराधों की समीक्षा बैठक

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गोरखपुर। पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) गोरखपुर परिक्षेत्र एस. चनप्पा ने परिक्षेत्र कार्यालय में परिक्षेत्र के सभी जनपदों के साइबर सेल प्रभारियों के साथ साइबर अपराधों के बढ़ते मामलों की समीक्षा गोष्ठी आयोजित की। बैठक में डीआईजी ने साइबर अपराधों की रोकथाम, शिकायतों के त्वरित निस्तारण तथा आम नागरिकों में साइबर जागरूकता बढ़ाने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए।

डीआईजी एस. चनप्पा ने बैठक में कहा कि बदलते तकनीकी दौर में साइबर अपराध तेजी से अपना स्वरूप बदल रहा है। अपराधी आधुनिक तकनीक और डिजिटल प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग कर आम जनता को ठगने के नये-नये तरीके अपना रहे हैं। ऐसे में पुलिस को सतर्कता, दक्षता और त्वरित कार्रवाई के साथ कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि साइबर अपराधों से निपटने के लिए प्रत्येक जनपद में प्रशिक्षित कर्मियों की टीम सक्रिय रूप से काम करे और हर शिकायत का गुणवत्तापूर्ण निस्तारण सुनिश्चित करे।

डीआईजी ने सभी साइबर सेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे प्रत्येक प्राप्त शिकायत की गंभीरता से जांच करें और प्रथम दृष्टया कार्रवाई में विलंब न होने दें। उन्होंने कहा कि पीड़ित व्यक्ति को राहत पहुंचाना और अपराधियों को शीघ्र पकड़ना पुलिस की सर्वोच्च प्राथमिकता है। शिकायतों की ट्रैकिंग, तकनीकी विश्लेषण और बैंकिंग संस्थाओं के साथ समन्वय को और अधिक प्रभावी बनाया जाए ताकि धन की रिकवरी समय रहते हो सके।

बैठक में डीआईजी ने यह भी कहा कि साइबर अपराध केवल आर्थिक धोखाधड़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सोशल मीडिया दुरुपयोग, डेटा चोरी, फर्जी पहचान और महिलाओं से संबंधित अपराध भी शामिल हैं। उन्होंने साइबर सेल टीमों को निर्देश दिया कि ऐसे मामलों में तुरंत एफआईआर दर्ज करें और जांच को प्राथमिकता दें।

समीक्षा के दौरान डीआईजी ने परिक्षेत्र के सभी जनपदों के लंबित मामलों की विस्तृत समीक्षा की और कमियों की पहचान करते हुए सुधारात्मक निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक साइबर सेल अपने जिले में “साइबर जागरूकता अभियान” चलाए, जिसके अंतर्गत विद्यालयों, कॉलेजों, बैंकों, सरकारी दफ्तरों और ग्राम पंचायत स्तर पर लोगों को ऑनलाइन ठगी से बचाव के उपायों की जानकारी दी जाए।

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डीआईजी ने कहा कि साइबर अपराधों से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका जनजागरूकता है। लोगों को यह समझाने की जरूरत है कि वे किसी भी अनजान लिंक, कॉल या संदेश पर अपनी निजी या बैंक संबंधी जानकारी साझा न करें। पुलिस का “1930 हेल्पलाइन नंबर” और “cybercrime.gov.in” पोर्टल साइबर ठगी से निपटने के लिए सबसे प्रभावी माध्यम हैं।

उन्होंने अधिकारियों से कहा कि साइबर ठगी से संबंधित शिकायतें मिलते ही तत्काल कार्रवाई की जाए ताकि धन वापसी की संभावना बनी रहे। इसके लिए बैंक नोडल अधिकारियों, सर्विस प्रोवाइडर्स और साइबर फ्रॉड मॉनिटरिंग यूनिट के साथ समन्वय बनाए रखना जरूरी है।

बैठक में परिक्षेत्र के सभी जनपदों के साइबर सेल प्रभारी उपस्थित रहे। डीआईजी ने अंत में कहा कि साइबर अपराधों से निपटना पुलिस के लिए नई चुनौती है, लेकिन सतर्कता, तकनीकी दक्षता और समयबद्ध कार्रवाई से इस चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है।

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