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वाराणसी

चिकित्सक सहित समस्त पैरामेडिकल स्टाफ को मिला ईसीजी पर प्रशिक्षण

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सीएमओ के नेतृत्व में हुआ कार्यक्रम, ईसीजी के बारे में दी विस्तृत जानकारी

रिपोर्ट – प्रदीप कुमार

वाराणसी। नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल आफ नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के तहत स्टेमी केयर कार्यक्रम को लेकर मंगलवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय पांडेयपुर में ईसीजी का प्रशिक्षण दिया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने प्रशिक्षण का नेतृत्व किया जिसमें चिकित्सालय के चिकित्सक सहित समस्त पैरामेडिकल स्टाफ प्रतिभाग किया।
सीएमओ ने बताया कि गैर संचारी रोगों को महत्ता देते हुए अब नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण (एनएफएचएस) में भी शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रो कार्डियो ग्राम (ईसीजी) कम समय में होने वाला, सुरक्षित, दर्द रहित टेस्ट होता है, जिसे हृदय की किसी समस्या की आशंका होने पर किया जाता है। इस टेस्ट में मरीज की छाती, भुजाओं और पैरों की त्वचा पर छोटे इलेक्ट्रोड पैच लगाकर इनकी मदद से हृदय की इलेक्ट्रिक एक्टिविटी को रिकॉर्ड किया जाता है। इस जांच को एक नियमित स्वास्थ्य जांच की तरह और हृदय की बीमारी का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। ईसीजी टेस्ट आमतौर पर दिल तक रक्त पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाओं में परेशानी, ऑक्सीज़न की कमी, नसों का ब्लॉकेज, टिशूज की असामान्य स्थिति, सीने में तेज दर्द या सूजन, सांस लेने में तकलीफ, हार्ट अटैक के लक्षणों और दिल से जुड़ी अन्य समस्याओं का पता लगाने के लिए किया जाता है। धमनियों और हृदय से निकलने वाली तरंगों या दिल की धड़कन के जरिए डॉक्टर दिल की बीमारियों का पता लगाते हैं। उन्होंने कहा कि गैर संचारी रोगों में ह्रदय रोग से ग्रसित रोगियों की मृत्यु सर्वाधिक हो रही है इसे समय पर उपचार कर रोका जा सकता है इसलिए इस चिकित्सालय में आकस्मिक कक्ष सहित ऑपरेशन थिएटर सर्जिकल वार्ड वअन्य वार्डों में भी 24 घंटे ईसीजी की सेवाएं प्रदान की जाएं। सीएमओ ने बताया कि बुधवार को एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय और वृहस्पतिवार को एलबीएस चिकित्सालय रामनगर में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
क्यों करवाना चाहिए ईसीजी टेस्ट – सीएमओ ने बताया कि ईसीजी टेस्ट करवाना सेहत के लिए जरूरी है और फायदेमंद भी है क्योंकि इस आसान टेस्ट के द्वारा आप समय से पहले दिल की बीमारियों का पता लगा सकते हैं ताकि बाद में वो खतरनाक रूप न ले लें। अगर आप दिल की बीमारियों का पता ठीक समय से लगा लेते हैं, तो इन्हें आसानी से ठीक किया जा सकता है। सभी सीएचसी सहित जिला स्तरीय चिकित्सालयों में यह टेस्ट उपलब्ध है।
कब करवाया जाता है ईसीजी टेस्ट – उन्होंने बताया कि जब लगातार हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो, जब सीने में तेज दर्द की शिकायत हो, जब दिल की धड़कन असामान्य हो जाए और लगातार घटती-बढ़ती रहे, जब सीने और छाती में तकलीफ हो और सांस लेने में परेशानी आए, जब अचानक से घबराहट हो और पसीना निकलने लगे यानि दिल की बीमारी के लक्षण नजर आएं, जब डायबीटीज को कंट्रोल न किया जा सके और इसका प्रभाव दिल पर दिखने लगे, जब दिल तक खून पहुंचाने वाली धमनियां ब्लॉक हो जाएं और हार्ट तक खून न पहुंचे, जब ब्लड क्लॉटिंग की वजह से दिल तक खून न पहुंचे, जब हार्ट वॉल्व में कोई परेशानी आती है, जब दिल की बीमारी के गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं एवं कई बार दिल पर दवाइयों के साइड इफेक्ट को जानने के लिए भी किया जाता है।
इस प्रशिक्षण में डीडीयू के चिकित्सा अधीक्षक डॉ प्रेम प्रकाश अन्य चिकित्सा अधिकारी पैरामेडिकल चिकित्सा कर्मी एवं गैर संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉक्टर मुईजुद्दीन हाशमी, डॉक्टर अतुल सिंह, डॉ शिव शक्ति प्रसाद द्विवेदी उपस्थित रहे। डॉ शिवशक्ति ने बताया कि जब कार्डियक अरेस्ट आता है तो धड़कनें अचानक बंद हो जाती हैं। वहीं, ब्लड प्रेशर नीचे की ओर गिरने लगता है और दिल के फंक्शन में अनियमितता आ जाती है। नतीजतन शरीर के अन्य हिस्सों में ब्लड की सप्लाई नहीं हो पाती है। जिसमें व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। उन्होंने बताया कि अगर किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट आया है, तो सबसे पहले तो नजदीकी अस्पताल के आपातकालीन नंबर य 108 नंबर पर फोन करके मदद मांगनी है। इसके बाद तुरंत मरीज को सीपीआर देना चाहिए। गौरतलब है कि सीपीआर की मदद से भी मरीज की जान बचाई जा सकती है।

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