गोरखपुर
गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति खिचड़ी मेला: आस्था और परंपरा का सजीव उत्सव
गोरखपुर। बाबा गोरखनाथ मंदिर में हर वर्ष की तरह इस बार भी मकर संक्रांति के अवसर पर भव्य खिचड़ी मेले का आयोजन किया जाएगा। यह परंपरा सदियों पुरानी है, जिसे नाथपंथ के संस्थापक गुरु गोरखनाथ और उनके गुरु योगीराज मात्स्येन्द्रनाथ से जोड़ा जाता है।
मान्यता है कि गुरु गोरखनाथ हिमाचल प्रदेश की ज्वाला देवी से भिक्षा लेकर लौटे थे और उन्हें चावल व दाल से बनी खिचड़ी भेंट की गई थी। तभी से हर वर्ष मकर संक्रांति पर बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है।
हर साल 14 जनवरी को मंदिर में सबसे पहले गोरक्षपीठाधीश्वर द्वारा खिचड़ी चढ़ाई जाती है, उसके बाद नेपाल के राजपरिवार की ओर से, और फिर लाखों श्रद्धालु अपने-अपने तरीके से खिचड़ी अर्पित करते हैं। इस अवसर पर मंदिर परिसर में विशाल मेला लगता है, जिसमें प्रदेश और देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं।
मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव का रूप ले चुका है। यहां योग-साधना, भक्ति और लोकपरंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। विभिन्न समुदायों के लोग इसमें भाग लेते हैं, जिससे सामाजिक सौहार्द का संदेश भी फैलता है।
हर ओर भक्तों के जयकारे गूंजते हैं, मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ खिचड़ी वितरण का सिलसिला चलता है। प्रशासन की ओर से सुरक्षा और यातायात की विशेष व्यवस्था की जाती है ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
मकर संक्रांति का यह खिचड़ी मेला केवल गोरखपुर ही नहीं, पूरे पूर्वांचल की आस्था का प्रतीक बन चुका है। यह आयोजन योग, सेवा और समर्पण का सजीव उदाहरण है, जो हर वर्ष श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है।
