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वाराणसी

गंगा की लहरों पर लौटे प्रवासी परिंदे, फोटोग्राफरों के खिले चेहरे

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वाराणसी। सर्दियों की दस्तक के साथ ही गंगा की लहरों पर दूर देशों से आए प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट गूंजने लगी है। इन परिंदों की उड़ान और कलरव ने नदियों के किनारों का दृश्य मनमोहक बना दिया है। नौका विहार करने वाले पर्यटक जब इन पक्षियों को अपने आसपास उड़ते देखते हैं, तो यह नजारा उनके लिए यादगार बन जाता है।

वाराणसी में गंगा के किनारे हर साल सर्दियों के मौसम में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, ये सीगल प्रजाति के पक्षी साइबेरिया और मध्य एशिया के ठंडे क्षेत्रों से हजारों किलोमीटर की यात्रा तय कर यहां पहुंचते हैं। वहां की जमी हुई बर्फ से बचने और भोजन की तलाश में ये गंगा के तटों को अपना अस्थायी ठिकाना बना लेते हैं।

पर्यटक इन पक्षियों के साथ नौका विहार का आनंद लेते हैं और कई बार उन्हें अपने हाथों से दाना खिलाने का मौका भी मिलता है। यह दृश्य न केवल प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाता है, बल्कि स्थानीय पर्यटन को भी नई ऊर्जा प्रदान करता है।

हर साल नवंबर से फरवरी तक इन प्रवासी परिंदों की मौजूदगी गंगा के घाटों पर देखने लायक होती है। प्रकृति का यह अद्भुत दृश्य स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देता है। नाविकों, फोटोग्राफरों और छोटे व्यापारियों के लिए यह मौसम खुशहाली लेकर आता है। खासकर फोटोग्राफर लोग इस पल को अपने कैमरे में कैद किये बिना नहीं रह सकते।

वाराणसी में इन पक्षियों की उपस्थिति यह संदेश देती है कि पर्यावरण संरक्षण और जलाशयों की स्वच्छता न केवल हमारे जीवन के लिए जरूरी है, बल्कि उन जीवों के लिए भी जो सीमाएं पार करके यहां आश्रय लेने आते हैं।

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सर्द हवाओं में गंगा की लहरों पर उड़ते ये प्रवासी परिंदे, जीवन में सौंदर्य और संतुलन का संदेश देते हुए सर्दियों को और भी मनमोहक बना देते हैं।

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