वाराणसी
काशी विश्वनाथ मंदिर के सामने फूलमंडी की दीवार तोड़ी, वकीलों के विरोध पर पुलिस ने रोका निर्माण
वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित फूलमंडी में बुधवार रात को अस्पताल के कर्मचारियों ने दीवार गिराने का प्रयास किया, जिससे वहां के व्यापारी और किराएदार आक्रोशित हो उठे। घटना में चौक क्षेत्र स्थित सेवा सदन अस्पताल के कर्मचारी हथौड़े और रॉड लेकर दीवार पर टूट पड़े और देखते ही देखते कुछ ही मिनटों में बाहरी दीवार को ढहा दिया। अस्पताल का दावा था कि यह रास्ता एम्बुलेंस और आपातकालीन वाहनों के लिए खोला जा रहा है।
घटना की सूचना पाकर फूलमंडी के संचालक और किराएदारों ने पुलिस को बुलाया। मंडी प्रबंधन ने अस्पताल पर अवैध रूप से कब्जा करने का आरोप लगाया और कहा कि उनके पास इस जगह का 2046 तक का लीज है, जिससे दीवार तोड़ने का यह प्रयास गैरकानूनी है। मंडी संचालकों के समर्थन में आए वकीलों ने भी अस्पताल के कर्मचारियों की इस कार्रवाई पर आपत्ति जताई और चौक थाने में मामले की शिकायत दर्ज करवाई।
नगर निगम का पत्र दिखाकर दी वारदात को अंजाम
अस्पताल संचालकों का दावा था कि नगर निगम द्वारा उन्हें दी गई एक नोटिस में यह दीवार कमजोर बताई गई थी और इसकी मरम्मत करने का अधिकार दिया गया था। हालांकि, मंडी के किराएदारों ने इस नोटिस की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए और कहा कि कोर्ट द्वारा भवन पर स्टे है, जो अस्पताल द्वारा की जा रही तोड़फोड़ को अवैध ठहराता है।
पुलिस ने दोनों पक्षों को थाने बुलाया
विवाद के बढ़ने पर चौक पुलिस मौके पर पहुंची और तत्काल तोड़फोड़ को रुकवा दिया। इंस्पेक्टर विमल मिश्रा ने दोनों पक्षों को मामले की जांच के लिए थाने बुलाया। इसके बाद पुलिस ने मलबा हटवाकर यातायात को सुचारू किया। मंडी के संचालकों और किराएदारों ने इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है। वहीं, पुलिस ने कोर्ट के आदेशों का अनुपालन करने का आश्वासन दिया है।
फूल मंडी पर कब्जे का विवाद, वकीलों और व्यापारियों का धरना, अस्पताल प्रशासन बैकफुट पर
शहर की प्राचीन फूल मंडी में कब्जे को लेकर विवाद गरमा गया है। वकीलों के एक समूह ने घटनास्थल का दौरा कर पूरी तरह क्षतिग्रस्त दीवार और टूटे हुए स्लैब का निरीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में अलग केस दायर करने की बात कही। साथ ही पुलिस कार्रवाई नहीं होने पर धरना देने की चेतावनी भी दी। वकीलों ने इसे मनमानी और दबंगई का मामला बताते हुए कानूनी कार्रवाई की मांग की।
2046 तक लीज का दावा, ट्रस्ट और अस्पताल के बीच जमीन का विवाद
राजस्थान ट्रस्ट ने जमीन को 2046 तक लीज पर आशीष शाह को दिया था, जिसने इसे किराए पर ध्रुव अग्रवाल और कृष्णा अग्रवाल को सौंप दिया। इस भूमि पर 1960 से फूल मंडी संचालित हो रही है, जहां पूर्वांचल भर के किसान अपना फूल बेचने आते हैं। हालांकि, कुछ साल पहले ट्रस्ट ने इस भूमि का रजिस्ट्रेशन सेवा सदन अस्पताल के नाम पर कर दिया जिसमें शर्त थी कि जब तक लीज जारी रहेगी कब्जा आशीष शाह का रहेगा। मंडी संचालक की लीज 2046 में समाप्त होगी। लीजधारक ने कोर्ट से स्टे ऑर्डर ले लिया है और दावा किया है कि समय पर किराए का भुगतान हो रहा है, इसलिए 2046 तक जमीन खाली कराना अवैध है।
दीवार तोड़कर एंबुलेंस के लिए रास्ता बनाने का प्लान
सेवा सदन अस्पताल के संचालक, वकीलों और व्यापारियों के दबाव के बाद बैकफुट पर आ गए हैं। नगर निगम के दस्तावेजों का हवाला देते हुए उन्होंने दीवार को गिराने की बात स्वीकार की, साथ ही बताया कि अस्पताल की एंबुलेंस को मंडी परिसर से निकलने के लिए एक कॉमन पैसेज बनाने की योजना थी। पुलिस ने दोनों पक्षों को दस्तावेजों के साथ पेश होने का निर्देश दिया है।
काशी विश्वनाथ मंदिर तक जाती है मंडी की सप्लाई
पूर्वांचल की सबसे पुरानी फूल मंडी, जो 1960 से संचालित हो रही है, काशी विश्वनाथ मंदिर के सामने स्थित है। वाराणसी समेत आसपास के किसान यहां अपने फूल लेकर आते हैं, जिन्हें व्यापारियों, दुकानदारों और श्रद्धालुओं द्वारा खरीदा जाता है। मंडी से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भोग, श्रृंगार और शयन आरती के लिए फूल, कमल, माला, बेलपत्र और तुलसी सप्लाई किए जाते हैं। साथ ही, इस मंडी से कालभैरव, संकटमोचन, अन्नपूर्णा मंदिर सहित 100 अन्य मंदिरों में भी फूल की आपूर्ति होती है। इससे 1000 से अधिक किसान और 600 दुकानदार रोजगार पाते हैं।
पुलिस का बयान – जर्जर दीवार को तोड़ा गया
चौक इंस्पेक्टर विमल मिश्रा के अनुसार, नगर निगम ने जर्जर भवनों को चिह्नित कर उन्हें मरम्मत या ध्वस्त करने का नोटिस दिया था। अस्पताल संचालक के अनुसार, वे उसी निर्देश का पालन कर रहे थे। पुलिस ने कहा कि दोनों पक्षों को दस्तावेजों के साथ बुलाकर वकीलों की तहरीर पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।