Connect with us

धर्म-कर्म

काशी के अष्टविनायक, गणपति के ऐसे आठ मंदिर जहां स्वयं प्रकट हुई उनकी मूर्ति

Published

on

रिपोर्ट – श्रद्धा यादव

“वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ,निर्विघ्नमकुरू में देव सर्वकार्येसु सर्वदा

प्रथम हैं ढुंण्ढीराज विनायक-काशी में प्रवेश करते ही भगवान विश्वेश्वर ने सर्वप्रथम गणनायक स्तुति तथा ढुंण्ढीराज स्त्रोत का उच्चारण करते हुए कहा कि यहां भगवान गणेश ढुंण्ढीराज के नाम से जाने जायेगे ! जिनके दर्शन से भक्त काशीपुरी में भगवान विश्वेश्वर का संपूर्ण आशीर्वाद को प्राप्त कर सकेंगे! ढुंण्ढीराज गणेश की नित्य दर्शन पूजन से सभी कष्टों से मुक्ति तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है !

दूसरे स्थान पर हैं सिद्धिविनायक – जिनका मंदिर मणिकर्णिका घाट जाने के मार्ग पर स्थित है, भगवान सिद्धिविनायक के दर्शन से भक्तों के सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं!

तीसरे स्थान पर हैं दुर्ग विनायक – इनका मंदिर दुर्गाकुंड मंदिर के परिसर में स्थित है,  दुर्ग विनायक के दर्शन पूजन से बपा भक्तों के सभी प्रकार के दुख दरिद्रता को नष्ट कर देते हैं !

Advertisement

चौथे स्थान पर हैं साक्षी विनायक – जो‌ विश्वनाथ गली में स्थित है, साक्षी विनायक काशी में आने वाले सभी भक्तों के द्वारा किए जाने वाले पूजा पाठ पुण्य के साक्ष एवं गवाह होते हैं !

पांचवें स्थान पर हैं चिंतामणि विनायक-‌चिंतामणि गणेश की ऐसी मान्यता है कि इन्होंने स्वयं अपने पिता काशी विश्वनाथ की चिंता दूर की थी!जिस कारण इनका नाम चिंतामणि विनायक प्रसिद्ध है ! इनके दर्शन पूजन से भक्तों की सभी चिंताएं दूर हो जाती हैं!

छठे स्थान पर हैं पंचमुखी विनायक-‌ पंचमुखी विनायक का मंदिर विश्वनाथ गली में स्थित है, भगवान गणेश के पांच मुख के दर्शन करने से बप्पा अपने भक्तों को धन के संकटों से उबार देते हैं!

सातवें स्थान पर हैं पाशपाणि विनायक- पांशपाणि विनायक के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है! इनका मंदिर  सदर बाजार में स्थित है!

आठवें स्थान पर हैं वक्रतुंड विनायक-‌ वक्रतुंड विनायक इन्हें बड़ा गणेश के नाम से भी जाना जाता है !इनका मंदिर मैदागिन क्षेत्र में स्थित है ! यह मंदिर 2000 साल पुराना मंदिर है !यहां बप्पा की मूर्ति 5 फुट की है ! यहां भगवान गणेश अपने पूरे परिवार माता-पिता शिव पार्वती , एवं पत्नी रिद्धि सिद्धि व पुत्र शुभ लाभ के साथ विराजमान है!

Advertisement

Copyright © 2024 Jaidesh News. Created By Hoodaa

You cannot copy content of this page