चन्दौली
कार्तिक पूर्णिमा पर जगमगाएंगे घाट, आस्था का महापर्व देव दीपावली कल
चंदौली। कार्तिक पूर्णिमा अर्थात देव दीपावली का पर्व आगामी बुधवार पांच नवम्बर को मनाई जाएगी। देव दीपावली का दिन भगवान शिव व विष्णु दोनों की आराधना के लिए अत्यंत शुभ है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर का संहार किया और देवताओं ने दीप जलाकर विजय का उत्सव मनाया। इसीलिए वाराणसी सहित देशभर में इसे ‘देव दीपावली’ के रूप में मनाया जाता है।
गंगा स्नान, दीपदान व दान पुण्य का विशेष फल इस दिन प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा का दिन भक्ति, साधना व आत्मशुद्धि का प्रतीक माना गया है। पूर्णिमा पर गंगा घाटों से लेकर मंदिरों तक आस्था का सागर उमड़ पड़ता है। भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। श्रीहरि विष्णु ने मात्स्य अवतार लेकर संतों व वेदों की रक्षा की थी।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान, स्नान व दान का विशेष महत्व है। यह वह रात्रि है जब धरती स्वर्ग समान आलोकित होती है। गंगा तटों पर दीपों की पंक्तियाँ सजी होती हैं, मंदिरों में घंटों की ध्वनि गूंजती है। श्रद्धालु स्नान, व्रत, दान व श्रीहरि की आराधना में लीन रहते हैं। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है। बल्कि मानवता, धर्म व दिव्यता का संगम भी है।

कथानुसार बहुत समय पहले तीन दैत्य भाई तरकाक्ष, कमलाक्ष व विद्युन्माली ने ब्रह्मा जी से तीन अमर नगरों का वरदान प्राप्त किया था। यह नगर स्वर्ग, आकाश व पृथ्वी पर स्थित थे। त्रिपुर नाम से प्रसिद्ध हुए। इन त्रिपुरों में रहते हुए तीनों भाइयों ने अपनी शक्ति व अहंकार से देवताओं को सताना शुरू कर दिया। इससे देवता भयभीत होकर भगवान शंकर की शरण में पहुंचे। भगवान शिव ने देवताओं की सम्मिलित ऊर्जा से बने रथ पर सवार होकर अपने धनुष से एक ही बाण चलाया। तीनों पुरियाँ एक साथ एक रेखा में आईं, तब उस अग्निबाण से ही उनका नाश हुआ। देवताओं ने उस दिन आकाश में दीप जलाकर विजय का उत्सव मनाया। तभी से यह परंपरा आगे चलकर देव दीपावली के रूप में प्रसिद्ध हुई। भगवान विष्णु का मात्स्य अवतार भी इसी दिन को कहा जाता है।
देव दीपावली के दिन सभी देवताआ गंगा तट पर स्नान करने आते हैं। इसलिए घाटों पर लाखों दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई। जैन परंपरा में भगवान महावीर के निर्वाण के उपरांत प्रथम कार्तिक पूर्णिमा पर अनुयायियों ने तीर्थयात्रा की शुरुआत की गई। इसलिए यह दिन जैन मत में भी पवित्र माना जाता है। इस दिन विष्णु पूजन मंत्र नमो नारायणाय। व वासुदेवाय नमः का जाप करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। देव दीपावली पर्व पर जनपद के विभिन्न सरोवर, तालाब, गंगा तट व मंदिरों में दीपोत्सव मनाया जाता है। आस्थावान लोग दीप जलाकर प्रभु के आगमन का उत्सव मनाते है।
