वाराणसी
इटैलियन कपल ने हिंदू संस्कारों के साथ लिए सात फेरे, मंत्रों को अंग्रेजी में समझा
वाराणसी। काशी की आध्यात्मिक आभा और सांस्कृतिक विरासत एक बार फिर विदेशियों को अपनी ओर खींच लाई। इटली से आये एंटोलिया और ग्लोरियस नामक दंपती ने वाराणसी के नवदुर्गा मंदिर में पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह किया।
लाल जोड़े में सजी दुल्हन एंटोलिया जब मेहंदी रचे हाथों से वरमाला लिए बैठी थीं, तो हर कोई उन्हें निहारता रह गया। वहीं दूल्हा ग्लोरियस पारंपरिक परिधान में, गहरी मुस्कान के साथ मंत्रोच्चारण के बीच फेरे लेते दिखे। विवाह संस्कारों का संचालन आचार्य मनोज मिश्रा ने कराया।
चूंकि यह दंपती हिंदी भाषा नहीं जानते थे, इसलिए विवाह के सभी वैदिक मंत्रों का अर्थ अंग्रेजी में समझाया गया, ताकि वे हर संस्कार के भाव को आत्मसात कर सकें।
आचार्य मिश्रा ने बताया कि चूंकि दंपती का गोत्र ज्ञात नहीं था, इसलिए उन्हें कश्यप गोत्र प्रदान किया गया। दुल्हन के परिजन इटली में होने के कारण विवाह में शामिल नहीं हो सके। ऐसे में वाराणसी के एक स्थानीय परिवार ने ‘मुंह बोले पिता और भाई’ बनकर सभी रस्में पूरी कीं।
विवाह के बाद एंटोलिया ने भावुक होकर कहा, “हिंदू रीति से शादी करना हमारे लिए एक दिव्य अनुभव रहा। सात वचनों का भाव समझना और सिंदूर लगवाना मेरे जीवन का सबसे खास पल था। आई लव इंडिया, आई लव काशी।”
वहीं ग्लोरियस ने मुस्कराते हुए बताया कि दोनों दस वर्ष पहले इटली में मिले थे और एक महीने पहले वहां विधिक रूप से विवाह किया। लेकिन हिंदू परंपरा में विवाह करना उनका सपना था। काशी पहुंचकर उन्होंने स्थानीय गाइड की मदद से आचार्य मिश्रा से संपर्क किया और अगले ही दिन विवाह की तिथि तय हो गई।
फूलों की सुगंध, मंत्रोच्चारण और गंगा तट की पवित्र हवा के बीच जब दोनों ने एक-दूसरे को सात वचन दिए, तो मंदिर का वातावरण “हर हर महादेव” के उद्घोष से गूंज उठा।
काशी ने एक बार फिर यह साबित किया कि प्रेम जब श्रद्धा से मिल जाता है, तो वह सीमाओं से परे होकर संस्कारों का सेतु बन जाता है।
गौरतलब है कि हाल के वर्षों में विदेशी नागरिकों के बीच भारतीय संस्कृति के प्रति रुझान लगातार बढ़ रहा है। पिछले महीने भी एक मैक्सिकन दंपती ने अपनी 25वीं विवाह वर्षगांठ पर काशी के अहिल्याबाई घाट पर वैदिक रीति से पुनः विवाह किया था।
