सियासत
आर्थिक प्रगति में भ्रष्टाचार बड़ी बाधा : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को भ्रष्टाचार को आर्थिक प्रगति में बड़ी बाधा बताया और कहा कि इसका व्यापक असर देश की एकता और अखंडता पर भी पड़ता है। उन्होंने इस समस्या के उन्मूलन के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की बात कही साथ ही यह भी कहा कि केवल सतही उपायों से इसे खत्म करना संभव नहीं होगा। राष्ट्रपति ने भरोसा जताया कि सरकार की “भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस” की नीति इस बुराई को जड़ से मिटाने में मदद करेगी।
राष्ट्रपति नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय सतर्कता आयोग के सतर्कता जागरूकता सप्ताह के समारोह को संबोधित कर रही थीं जिसमें उनके साथ केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पीके श्रीवास्तव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर कोई भी काम सही भावना और दृढ़ संकल्प से किया जाए तो सफलता निश्चित होती है। कुछ लोग देश की स्वच्छता और भ्रष्टाचार उन्मूलन को असंभव मानते थे पर मजबूत नेतृत्व राजनीतिक इच्छाशक्ति और नागरिकों के सहयोग से देश में स्वच्छता के अच्छे परिणाम देखे गए हैं।
राष्ट्रपति ने पिछले दस वर्षों में भ्रष्टाचार विरोधी कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) जैसी योजनाओं से पारदर्शिता बढ़ी है, जिससे लाभार्थियों को सीधे सहायता पहुंचाई जा रही है। उन्होंने ई-टेंडरिंग और ई-मार्केट प्लेस जैसे प्रावधानों का भी जिक्र किया जो सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता लाने में सहायक रहे हैं।
राष्ट्रपति ने भ्रष्टाचार के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि देरी या कमजोर कार्रवाई अनैतिक व्यक्तियों को बढ़ावा देती है। उन्होंने यह भी कहा कि कार्रवाई में व्यक्ति की गरिमा का ध्यान रखा जाना चाहिए और उसे दुर्भावना से प्रेरित नहीं होना चाहिए। इसके बजाय न्याय और समानता को स्थापित करना प्राथमिक उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल की जयंती पर देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने का संकल्प लेना एक गंभीर जिम्मेदारी है।
राष्ट्रपति ने नैतिकता को भारतीय समाज का आदर्श बताया और कहा कि जब कुछ लोग धन और सम्पत्ति को जीवन का मानक मानने लगते हैं तो वे इस आदर्श से भटक जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जनजातीय समाज सीमित संसाधनों में संतुष्टि के साथ जीता है जो हमारे समाज में नैतिकता की महत्ता को दर्शाता है।