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वाराणसी

आंगनवाड़ी केंद्रों से संवर रहा भारत का भविष्य : अन्नपूर्णा

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वाराणसी/नई दिल्ली। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि यदि भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है, तो इसकी नींव देश के सबसे छोटे नागरिकों से ही रखनी होगी। आंगनवाड़ी केंद्र अब सिर्फ पोषण स्थल नहीं रहे, बल्कि बच्चों की पहली पाठशाला बन चुके हैं। यहाँ खेल-आधारित शिक्षा के माध्यम से बच्चों की जिज्ञासा, रचनात्मकता और समग्र विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) को नई दिशा मिली है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में साफ कहा गया है कि मस्तिष्क का 85 प्रतिशत विकास छह वर्ष की आयु से पहले ही हो जाता है। इसी सोच के साथ “पोषण भी पढ़ाई भी” पहल शुरू हुई है, जिसने आंगनवाड़ी केंद्रों को जीवंत शिक्षा केंद्रों में बदल दिया है।

अन्नपूर्णा देवी ने बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को पहली बार गतिविधि-आधारित और खेल-उन्मुख शिक्षण पद्धति पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। शिक्षण-अधिगम सामग्री के लिए बजट बढ़ाया गया है और मासिक ईसीसीई दिवस को संस्थागत रूप दिया गया है। इसके साथ ही 3 से 6 वर्ष आयु वर्ग के लिए “राष्ट्रीय पाठ्यक्रम आधारशिला” लागू किया गया है, जो बच्चों के बौद्धिक, भावनात्मक, शारीरिक और सामाजिक विकास पर समान रूप से ध्यान केंद्रित करता है।

वैज्ञानिक शोध भी इस पहल की पुष्टि करते हैं। अध्ययनों के अनुसार व्यवस्थित प्रारंभिक शिक्षा से बच्चों के आईक्यू और सीखने की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होता है। नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. जेम्स हेकमैन ने भी कहा है कि बाल्यावस्था में किया गया निवेश 13 से 18 प्रतिशत तक का सर्वोच्च रिटर्न देता है।

“पोषण भी पढ़ाई भी” कार्यक्रम की 5+1 साप्ताहिक योजना बच्चों को खेल, भाषा, रचनात्मकता, मोटर स्किल, सामाजिक संपर्क और मूल्यों का संतुलित वातावरण प्रदान करती है। वहीं जन्म से तीन वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए “नवचेतना” ढाँचा माता-पिता को घर पर ही खेल-आधारित गतिविधियों से बच्चों के विकास में सशक्त बना रहा है।

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पहल उच्च और निम्न आय वर्ग के बीच की खाई को पाटने का कार्य कर रही है। अब आंगनवाड़ी केवल पोषण का स्थान नहीं, बल्कि बच्चों की शिक्षा की पहली सीढ़ी बन गई है। उन्होंने कहा कि खेल कोई विलासिता नहीं बल्कि सीखने की नींव है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि भारत का हर बच्चा जीवन की सही शुरुआत पाए, क्योंकि राष्ट्र निर्माण का आधार उसके सबसे छोटे नागरिकों का पोषण और विकास है।

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