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वाराणसी

स्वच्छ पर्यावरण के लिए संकल्पित बनारस रेल इंजन कारखाना

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रिपोर्ट – मनोकामना सिंह

वाराणसी| बनारस रेल इंजन कारख़ाना द्वारा निर्मित प्रथम डीजल-विद्युत रेल इंजन श्री लाल बहादुर शास्त्री द्वारा 03 जनवरी 1964 को राष्ट्र को समर्पित किया गया। इसके साथ ही बनारस रेल इंजन कारख़ाना ने घरेलू विनिर्माण उद्योग में प्रवेश किया। आज यह भारत का अग्रणी रेल इंजन विनिर्माता बन गया है।
2016-17 से, बरेका ने रीजेनरेटिव ब्रेकिंग और होटल लोड कन्वर्टर जैसी विशेषताओं से युक्त ऊर्जा दक्ष विद्युत रेलइंजन बनाने की यात्रा शुरू की तथा कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बरेका ने दुनिया के अग्रणी रेलइंजन निर्माताओं में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। अब यहाँ मल्टी-गेज और मल्टी-ट्रैक्शन इंजनों के डिजाइन और निर्माण की क्षमता है। बरेका निर्मित लोकोमोटिव न केवल भारत में, बल्कि पूरे एशिया और अफ्रीका में कई अंतरराष्ट्रीय रेलवे प्रणालियों में सेवाएं प्रदान करते हैं। बरेका द्वारा निर्मित इंजन बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, तंजानिया, सूडान, सेनेगल, माली, मलेशिया, वियतनाम, अंगोला और मोजाम्बिक में चल रहे हैं। बरेका, भारत में विभिन्न इस्पात संयंत्रों, बिजली संयंत्रों और पोर्ट ट्रस्टों को भी इंजनों की आपूर्ति कर रहा है।
कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और ग्रीन ट्रैक्शन प्रदान करने के लिए, बरेका ने भारतीय रेलवे के लिए डीजल रेल इंजनों का निर्माण बंद कर दिया है।
बरेका पौराणिक नगर वाराणसी में स्थित एक अग्रणी औद्योगिक इकाई है। यह अपने वृहत्तर सामुदायिक उत्तरदायित्व विशेष रूप से पवित्र नदी गंगा के प्रति हमेशा जागरूक रहा है। यह नदी अपने तटीय इलाके के निवासियों को जैव विविधता एवं जीविका के साथ उत्तम पारिस्थितिक तंत्र प्रदान करती है।
पर्यावरण संरक्षण में नेतृत्वकारी भूमिका का निर्वहन करते हुए बरेका ने 1980 के दशक में ही दो ट्रीट्मेंट प्लांट स्थापित किए। मानव अपशिष्ट के उपचार के लिए 12 एमएलडी क्षमता युक्त सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तथा दूषित एवं मिश्रित पेट्रोलियम तेल और लुब्रिकेंट (पीओएल) के उपचार के लिए 3 एमएलडी क्षमता युक्त औद्योगिक अपशिष्ट उपचार संयंत्र (आईईटीपी) स्थापित किया गया।
गंगा नदी को स्वच्छ बनाए रखने के अलावा ये संयंत्र, संसाधनों के रिसाइकलिंग में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। बरेका को इस बात पर गर्व है कि कोई भी सीवेज, चाहे उपचारित हो या अनुपचारित, गंगा नदी में नहीं छोड़ा जाता है। उपचारित जैव खाद का सूखने के बाद बागवानी में उर्वरक के रूप में उपयोग किया जाता है। 2021-22 के दौरान एसटीपी ने 1819 मिलियन लीटर पानी का उपचार किया। आईईटीपी ने 2021-22 में 240 लीटर मिश्रित पेट्रोलियम तेल और लुब्रिकेंट (पीओएल) को पानी से अलग किया। एसटीपी और आईईटीपी के मापदंडों की ऑनलाइन निगरानी की जाती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ये केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्धारित मानकों के भीतर हैं।

    सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट                औद्योगिक अपशिष्ट उपचार संयंत्र 

बरेका, जल संचयन एवं भूजल के पुनर्भरण के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अंतर्गत 425 से अधिक सोकपिट और 50 गहरे रिचार्ज कुओं का निर्माण किया गया है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के तहत लगभग 44000 वर्गमीटर रूफ टॉप एरिया को कवर किया गया है।

                     रिचार्ज कुआं और सोकपिट

सतत पर्यावरण की दिशा में अपने प्रयास में, 0.25 मिलियन लीटर प्रति दिन की क्षमता वाले दो वॉटर रिसाइकलिंग संयंत्र (डब्ल्यूआरपी) को चालू किया गया है। इस रिसाइकिल्ड जल का उपयोग बागवानी और भूजल पुनर्भरण के लिए किया जाता है।
पानी, वायु, हानिकारक अपशिष्ट, गैसों का उत्सर्जन आदि के विभिन्न मापदण्डों को निर्धारित मानकों के अनुरूप बनाए रखने की दिशा में अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, बरेका ने 2001 में पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली के लिए आईएसओ:14001 प्रमाणन के लिए प्रयास किया। इस प्रमाणन के परिणामस्वरूप कारख़ाना और कॉलोनी के पर्यावरण के संरक्षण के लिए बरेका की अपनी एक सुपरिभाषित नीति है।
बरेका, भारतीय रेलवे की पहली इकाई है जिसे पर्यावरण के बचाव की दिशा में अपनी पहल के लिए सीआईआई-गोदरेज ग्रीन बिजनेस सेंटर (सीआईआई-गोदरेज जीबीसी) द्वारा ग्रीन को सिल्वर रेटिंग का दर्जा दिया गया है।

                          बरेका परिसर में सौर उपकरण

ऊर्जा संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए और गैर-पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों का लाभ लेने के लिए, बरेका ने ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाई है। बरेका ने विभिन्न स्थानों पर, 3.86 मेगावाट की क्षमता के ग्रिड से जुड़े हुए सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए हैं। भविष्य में 2.4 मेगावाट की अतिरिक्त सौर ऊर्जा संयंत्र की योजना है। बरेका ने वर्ष 2020-21 (42.7 लाख यूनिट) की तुलना में वित्तीय वर्ष 2021-22 (43.2 लाख यूनिट)में सौर ऊर्जा उत्पादन में 1.2% की वृद्धि हासिल की है। 2021-22 में बरेका में ऊर्जा की कुल खपत में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी 23.08 प्रतिशत है। बरेका ने विद्युत ऊर्जा खपत प्रति समतुल्य इकाई 20.7% की बचत की ।

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बरेका पहली उत्पादन इकाई है जहां सामान्य सेवाओं में ऊर्जा खपत की निगरानी एवं उसके अधिकतम उपयोग के लिए स्काडा प्रणाली स्थापित की गई है। उल्लेखनीय है कि बरेका ने बेहतर ऊर्जा संरक्षण के लिए आईएसओ:50001 प्रमाणन प्राप्त किया है। बरेका में पारंपरिक प्रकाश व्यवस्था के स्थान पर पूर्णरूपेण एलईडी आधारित प्रकाश व्यवस्था कर दी गई है।
ऊर्जा खपत में कमी की दिशा में प्रयास के तहत बरेका ने पंप ऑटोमेशन के साथ मोटराइज्ड गेट वाल्व का प्रयोग भी शुरू किया है। प्रणाली सुधार के इन प्रयासों से न केवल ओवरफ़्लो के कारण बर्बाद होने वाले बहुमूल्य जल की बचत हुई है, बल्कि पंपिंग की आवश्यकता भी 2 घंटे कम हुई है।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत बरेका में स्थित कारख़ाना, कॉलोनी, कार्यालयों और अस्पतालों में जोरदार सफाई अभियान चलाया गया। नागरिक सुरक्षा संगठन, भारत स्काउट्स एंड गाइड्स और सेंट जॉन्स एम्बुलेंस ब्रिगेड के सदस्यों सहित सभी अधिकारी, कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्य परिसर को साफ-सुथरा रखने के लिए इन अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
बरेका परिसर में 150000 से अधिक छोटे-बड़े पेड़ हैं। इससे बरेका का लगभग 40% क्षेत्र हरा-भरा है। वर्ष 2021-22 में बरेका में 2100 से अधिक पेड़ लगाए गए। “स्वच्छ बरेका, हरित बरेका” के लिए “टीम बरेका” के इस ठोस प्रयास के परिणामस्वरूप न केवल चारों ओर हरा-भरा और स्वच्छ वातावरण बना है, बल्कि इससे जल, वायु, गैस उत्सर्जन और हानिकारक कचरे का प्रदूषण स्तर भी निर्धारित सीमा से कम हुआ है। बरेका का हरा-भरा वातावरण, पर्यावरण संरक्षण के लिए कॉलोनी वासियों की जागरूकता एवं प्रतिबद्धता का गवाह है। बाहरी क्षेत्र से बरेका परिसर में प्रवेश करने पर तापमान में 3-4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट सहज ही महसूस की जा सकती है। पर्यावरण के प्रति अपनी समझ और जागरूकता के कारण ही बरेका एक हरित, स्वच्छ और अच्छे भविष्य की ओर निरंतर अग्रसर है।

                हरा-भरा और स्वच्छ बरेका परिसर 

हमारे पर्यावरण के सभी तत्व चाहें वे मिट्टी, वायु, जल जैसे अजैविक हों अथवा पौधे एवं जीवों जैसे जैविक हों, अपनी उत्तरजीविता के लिए एक दूसरे पर निर्भर हैं। वे पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखते हैं। किसी एक तत्व की कमी पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर सकती है।
वर्तमान वैश्विक महामारी में स्वस्थ पर्यावरण का महत्व साबित हो गया है। वायु प्रदूषण एवं पर्यावरण के क्षरण से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और इससे महामारी के दौरान स्थिति और गंभीर हुई। बरेका अपने हरे-भरे एवं स्वच्छ पर्यावरण से स्वस्थ जीवन की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है। बरेका अपनी प्रत्येक गतिविधियों में पर्यावरण की अनुकूलता के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहते हुये स्वच्छ, हरित भारत के लिए योगदान देता रहेगा।

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