आजमगढ़
सच्ची भक्ति का आधार है निःस्वार्थ प्रेम: सतगुरु माता सुदीक्षा जी

आजमगढ़। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन सान्निध्य में आजमगढ़ के हरबंशपुर स्थित सत्संग भवन में भक्ति पर्व का आयोजन हुआ। इस अवसर पर डॉ. बीरेन्द्र कुमार सरोज ने बताया कि समागम में श्रद्धालुओं ने भक्ति और आध्यात्मिकता से जुड़कर अद्भुत अनुभव प्राप्त किया। सतगुरु माता जी ने हरियाणा के समालखा स्थित निरंकारी आध्यात्मिक स्थल पर भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि सच्ची भक्ति परमात्मा से जुड़ाव और निःस्वार्थ प्रेम का नाम है।
यह न तो इच्छाओं का व्यापार है और न ही स्वार्थ का साधन।माता जी ने भक्ति के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि ब्रह्मज्ञान भक्ति का आधार है जो जीवन को उत्सव में बदल देता है। उन्होंने कहा कि भक्ति का स्वरूप दिखावे और लालच से मुक्त होना चाहिए।
उदाहरण स्वरूप भगवान हनुमान, मीराबाई और भगवान बुद्ध का भक्ति मार्ग भले ही अलग था लेकिन उनका मर्म एक ही था—परमात्मा से अटूट संबंध।समागम में देश-विदेश से आए भक्तों ने सेवा, सुमिरन, सत्संग और गान के माध्यम से भक्ति का अनुभव किया। माता जी ने कहा कि गृहस्थ जीवन में भी भक्ति संभव है यदि हर कार्य में परमात्मा का आभास हो। उन्होंने माता सविंदर जी और राजमाता जी के जीवन को भक्ति और सेवा का प्रतीक बताया।
इस अवसर पर संत सन्तोख सिंह जी सहित अन्य संतों के योगदान को भी याद किया गया। वक्ताओं, कवियों और गीतकारों ने भक्ति और गुरु महिमा का सुंदर वर्णन किया। सतगुरु माता जी के प्रेरणादायक प्रवचनों ने सभी को भक्ति का वास्तविक अर्थ समझने और उसे अपनाने की प्रेरणा दी।