वाराणसी
बीएचयू में हुआ राम चरित मानस का भव्य आयोजन
महादेव की नगरी में दिखा राम की आस्था का सैलाब
वाराणसी: आज पूरा भारत राममय हो गया है। लोग राम की भक्ति एवं आस्था के समुंद्र में डुबकी लगा रहे हैं। जगह-जगह राम का पोस्टर लगा है, राम की रैली निकल रही है, तो कहीं मानस का पाठ हो रहा है। अद्भुत दृश्य निर्मित हो गया है समूचे देश में। जब पूरा देश रामोत्सव के रंग में सराबोर है, तो ऐसे में भला बाबा विश्वनाथ की पावन नगरी इससे अछूता कैसे रहती। काशी में मनोरम छटा बनी हुई है।
चंहुओर रामनाम के जय जयकार से काशी गुंजायमान है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर यहां के लोगों में आस्था का सैलाब उमड़ा हुआ है। हर हर महादेव की जयघोष वाले शहर में जय श्रीराम के नारे हर जगह सुनाई दे रहे हैं। सड़कों पर रामभक्त जुलूस निकाले हुए हैं। घाटों का अलग ही नजारा है। वहीं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के परिसर में भी रामनाम की भक्ति की गंगा बहती दिखी। बीएचयू के बिड़ला(ब) छात्रावास के छात्रों ने 24 घंटे का राम चरित मानस के पाठ का आयोजन किया। 21 तारीख की संध्या से शुरू हुआ मानस का गायन रामलला के प्राण प्रतिष्ठा तक चला। इस भक्तिमय समारोह में बीएचयू के तमाम वरिष्ठ प्रोफेसर मौजूद रहे। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पत्रकारिता के सहयाक प्राध्यापक स्वर्ण सुमन ने राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के इस भव्य आयोजन को ऐतिहासिक लम्हा बताया। उन्होंने बताया कि हम सभी सनातनियों के लिए यह बेहद गौरव का क्षण है। बकौल स्वर्ण सुमन अंततोगत्वा पांच शताब्दियों के संघर्षों के पश्चात रामलला के भव्य मंदिर और प्राण प्रतिष्ठा की प्रतीक्षा आज पूर्ण हुई। यह महज एक मंदिर नहीं है, प्रत्युत सनातन धर्म की सहिष्णुता और सौहाद्रता का द्योतक है। मैं भावुक हूं, आनंदित हूं, मर्यादित हूं, शरणागत हूं, संतुष्ट हूं, निःशब्द हूं। मैं बस “राममय” हूं। आप सभी को रामलला के 500 वर्ष बाद पुन: गृह प्रवेश पर हार्दिक शुभकामनाएं। वाकई में यह एक मंदिर नहीं है, यह उन सनातन रणबांकुरों के बलिदानों का विजय स्मारक है, जिन्होंने ये सौभाग्य लाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। हम अतिशय भाग्यशाली हैं कि हमारे अमर हुतात्माओं द्वारा देखा गया राम मंदिर का सपना आज साकार हो गया। हमारे जीवन धन्य हो गए। सनातन धर्मियों के पुरातन गौरव और अस्मिता की पुनर्स्थापना हेतु हम सबको बधाई। इस अस्थामय आयोजन पर पीआईबी के भारत भूषण तिवारी तथा बीएचयू के राघवेंद्र राय, अंकित पांडे, वृज भूषण तिवारी, सौरभ यादव, हिमाशु गिरी इत्यादि मौजूद रहे।