वाराणसी
डिप्थीरिया से संक्रमित हुई 12 साल की बच्ची

जाने लक्षण और बचाव के उपाय
वाराणसी। जिले के पांडेयपुर क्षेत्र में गुरुवार को एक 12 वर्षीय बच्ची डिप्थीरिया से संक्रमित पाई गई। परिजनों ने पहले उसे पांडेयपुर के स्थानीय चिकित्सक को दिखाया। फिर उसे मंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों की टीम उसकी निगरानी कर रही है।
इस साल डिप्थीरिया के कुल मरीजों की संख्या दस हो गई है। अप्रैल से अब तक नौ मरीज पहले ही मिल चुके थे और ताजा मामला गुरुवार को सामने आया। डिप्थीरिया को आम बोलचाल में “गला घोंटू” रोग भी कहा जाता है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. ए.के. मौर्य ने बताया कि विभाग द्वारा लगातार टीकाकरण कराने की सलाह दी जाती है और बच्चों में डिप्थीरिया के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत स्वास्थ्य विभाग को सूचित करने का आग्रह किया गया है।
कैसे करें डिप्थीरिया की पहचान ?
डिप्थीरिया से बचाव के उपाय –
डिप्थीरिया का टीका इस गंभीर संक्रमण को नियंत्रित करने का एकमात्र तरीका है। यह टीका शुद्ध, निष्क्रिय डिप्थीरिया विष से बना है। सभी बच्चों और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के लिए टीकाकरण अनिवार्य है । प्राथमिक टीकाकरण अब 2 और 4 महीने की उम्र के शिशुओं के लिए अनिवार्य है। पहला बूस्टर 11 महीने पर दिया जाता है और आगे के बूस्टर 6, 11 से 13, 25, 45 और 65 की उम्र में दिए जाते हैं, फिर हर 10 साल पर।
सीरोप्रिवलेंस अध्ययनों से संकेत मिलता है कि 50 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के एक उच्च अनुपात में एंटीबॉडी टिटर का पता नहीं लगाया जा सकता है या उस स्तर से कम है जिसे सुरक्षा प्रदान करने के लिए माना जाता है। ये डेटा वैक्सीन की सिफारिशों का पालन करने के महत्व पर जोर देते हैं, विशेष रूप से, 65 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों में हर 10 साल में बूस्टर।