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क्या ममता बनर्जी का ‘अपराजिता बिल’ बन पाएगा महिला सुरक्षा की गारंटी !

कोलकाता डॉक्टर रेप-हत्या मामले में लापरवाही और सुस्त जांच के आरोपों से घिरी पश्चिम बंगाल सरकार ने विधानसभा में एंटी-रेप विधेयक पेश कर दिया है। यह बिल विधानसभा में पास भी हो गया है। ममता सरकार ने रेप के मामलों में दोषियों को जल्द से जल्द सजा देने के मकसद से कानून में संशोधन किया है।
मंगलवार को सदन में लाए गए इस बिल का नाम है ‘अपराजिता महिला और बाल बिल 2024’, जो राज्य में पहले से लागू आपराधिक कानूनों की लिस्ट में संशोधन प्रस्तावित करता है। इस बिल में रेप के दोषियों के लिए फांसी या आजीवन कारावास का प्रावधान है, खासकर अगर पीड़िता की मौत हो जाए या वह निश्चेत हो जाए।
ममता बनर्जी ने बलात्कार को समाज का विष बताया और इसके खिलाफ सख्त सजा की मांग की। इस बिल में 21 दिनों में जांच पूरी करने और एसिड अटैक के दोषियों को आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। पीड़िता की पहचान उजागर करने पर 3-5 साल की जेल होगी। बिल के पारित होने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जो काम पीएम मोदी की सरकार ने नहीं किया, वह हमने कर दिखाया है। उन्होंने इस बिल को ऐतिहासिक बताया है।
अपराजिता बिल के प्रमुख प्रावधान

अपराजिता बिल में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में कई धाराओं में संशोधन का प्रस्ताव है। बीएनएस के तहत रेप के दोषी को 10 साल की कठोर जेल की सजा दी जाती है, उम्रकैद तक बढ़ाया जा सकता है। बंगाल की विधायिका इस सजा को उम्रकैद और जुर्माना या मौत तक बढ़ाने का प्रस्ताव करती है। इसके अलावा, जुर्माना ऐसा होना चाहिए जो पीड़िता की चिकित्सा और पुनर्वास लागतों को पूरा कर सके।
पहले से है फांसी की सजा का प्रविधान
ममता सरकार की मंशा पर स्पष्ट सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील महालक्ष्मी पवनी कहती हैं कि महिलाओं को सुरक्षा देने और अपराध की निष्पक्ष जांच और कार्रवाई में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री नाकाम रहीं और अब संशोधित कानून लाकर वह जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रही हैं क्योंकि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में तो पहले से ही दुष्कर्म के जघन्य अपराध में फांसी की सजा है।